इंटरनेट से जुड़े खतरों के बारे में बच्चों को जरूर बताएं परिजन : डॉ निशांत गोयल

झारखंड
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  • कोविड-19 के दौरान तनाव और मानसिक स्वास्थ्य का रखें ख्याल विषय पर वेबिनार

रांची। टोटल या होल हेल्थ में मेंटल हेल्थ भी आता है। हमें अपने दैनिक कार्यों और अपने रोल को अच्छी तरह निभाने के लिए अच्छे मानसिक स्वास्थ्य की जरूरत होती है। जैसा कि हम सुन रहे हैं कि कोविड -19 की आने वाली तीसरी लहर बच्चों पर ज्यादा असर करेगी। ऐसे में हमें साइकायट्रिक सपोर्ट को भी रैपिड रिस्पांस टीम का हिस्सा बनाना चाहिए, ताकि बच्चों में एंग्जाइटी या घबराहट के चलते कोई दिक्कत नहीं आए। पेरेंट्स को भी चाहिए कि इस महामारी के दौर में जब पूरा परिवार लॉकडाउन की वजह से घर में रह रहा है, वे बच्चों के साथ घुलें मिले। उन्हें एक सुरक्षित माहौल दें। बच्चों से बातें करें, उनकी बातों को ध्यान से सुनें। उन्हें सवाल पूछने की भी अनुमति दें। बच्चों को बिजी रखें। कोशिश करें कि वह हमेशा पॉजिटिव रहें। जो बच्चे ऑनलाइन क्लासेज या इंटरनेट पर काफी समय बिताते हैं, उनके परिजनों को चाहिए कि इंटरनेट से जुड़े खतरों के बारे में वे जरूर बच्चों को बताएं। उनकी ऑनलाइन हैबिट्स पर भी ध्यान दें। उक्‍त बातें कांके स्थित केंद्रीय मनश्चिकित्‍सा संस्‍थान (सीआईपी) के अकेडमिक्स इंचार्ज डॉ निशांत गोयल ने कही।

डॉ गोयल पत्र सूचना कार्यालय, रीजनल आउटरीच ब्यूरो, रांची, फील्ड आउटरीच ब्यूरो, गुमला और यूनिसेफ झारखंड के संयुक्त तत्वावधान में ‘कोविड-19 के दौरान तनाव और मानसिक स्वास्थ्य का रखें ख्याल’ विषय पर बुधवार को वेबिनार परिचर्चा में बोल रहे थे।

परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए रांची पीआईबी-आरओबी के अपर महानिदेशक अरिमर्दन सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने पूरे जगत में लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को काफी प्रभावित किया है। हमारे देश में खास कर दूसरी लहर में लोग काफी खौफ में हैं कि आगे क्या होने जा रहा? दूसरी लहर में काफी लोग इस बीमारी की चपेट में आए हैं। इनमें से अधिकतर मानसिक रूप से काफी परेशान हैं। जिनके परिवार के अपने गुजरे उन्हें और भी ज्यादा मानसिक परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। लोगों के रोजगार के अवसर पर भी गहरा धक्का लगा है जिस कारण लोगों के मानसिक स्वास्थ पर बुरा असर पड़ा है।  ऐसे में हमें सकारात्मक सोच के साथ योग, संगीत, दूसरों के साथ जुड़ना और सांस लेने से जुड़े व्यायामों से सहज होने में मदद मिल सकती है।

यूनिसेफ झारखंड के चीफ ऑफ फील्ड ऑफिस प्रसांता दाश ने कहा कि कोविड-19 के दौर में हर शख्स इसके नाम से ही डरा हुआ है। लॉकडाउन के चलते घर में बंद रहने की वजह से पेरेंट्स और बच्चों में अच्छी अंडरस्टैंडिंग बहुत जरूरी है। हमें बच्चों को कोरोनावायरस संबंधी उनके सवालों के सही जवाब देने चाहिए। परिजनों को चाहिए कि बच्चों के साथ कोई खेल खेलें या कोई धार्मिक किताब पढ़ें। घर के कामों में हाथ बटाएं, ताकि सब को एकजुटता का एहसास हो और एक सकारात्मक माहौल बने।

यूनिसेफ झारखंड की कम्युनिकेशन, एडवोकेसी एवं पार्टनरशिप ऑफिसर सुश्री आस्था अलंग ने कहा कि कोविड-19 का यह दौर युवाओं के लिए खासकर किशोरों के लिए काफी ही मुश्किल भरा दौर है। उन्हें अपने दैनिक जीवन शैली में बहुत सारे बदलाव करने पड़ रहे हैं। उनका स्कूल बंद हो गया है, जिन दोस्तों के साथ वह स्कूल में या फिर बाहर रोज मिला करते थे, अब ऐसा वह नहीं कर सकते हैं। इससे उनके रोजमर्रा के जो व्यवहार थे, उस पर काफी असर पड़ा है। साथ ही हम देखें तो झारखंड में स्कूलों के बंद होने से गरीब तबके के बच्चों ने काम करना शुरू कर दिया। शायद वो अब फिर कभी स्कूल ना जा पायेंगे, जो कि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण होगा। अतः पेरेंट्स तथा टीचर्स को बच्चों के मेंटल हेल्थ पर विशेष ध्यान देना होगा, खास करके सेल्फ हार्मिंग बिहेवियर पर नजर रखनी चाहिए। उनकी काउंसलिंग करते रहना चाहिए।

वेबिनार में अतिथि वक्ता स्ट्रेस/लाइफस्टाइल मैनेजमेंट एवं वेलनेस कंसल्टेंट मिलन के सिन्हा ने कहा कि हमें कोशिश करनी चाहिए कि पूरी सजगता से अपना काम करें, जिससे कि हमारे जीवन में सहजता आए। कन्फ्यूजन कम हो। इससे हमारी दिनचर्या में क्लेरिटी आती है और स्थिरता भी मिलती है, जो आगे हमारी सफलता का मार्ग प्रशस्त करती हैं। वैलनेस चाहिए तो हमें अपना ईगो खत्म करना पड़ेगा। आजकल वक्त बहुत ही तेजी से बदल रहा है इसलिए हमें  मैनेजमेंट चेंज आना चाहिए। साथ ही हमें कोशिश करनी चाहिए कि जो भी काम है, उसे हम उसी दिन करें, कल पर ना डालें ताकि हमारा वर्तमान और बेहतर हो सके।

वेबिनार का समन्वय एवं संचालन क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी श्रीमती महविश रहमान ने किया। क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी ओंकार नाथ पांडेय ने समन्वय में सहयोग दिया। वेबिनार में विशेषज्ञों के अलावा झारखंड के छात्र पत्रकार, शोधार्थी, पीआईबी, आरओबी, एफओबी, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के अधिकारी-कर्मचारियों तथा दूसरे राज्यों के अधिकारी-कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया। गीत एवं नाटक विभाग के अंतर्गत कलाकार एवं सदस्य, आकाशवाणी के पीटीसी, दूरदर्शन के स्ट्रिंगर तथा विभिन्न मीडिया हाउस के संपादक और पत्रकार भी शामिल हुए।