हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के मंच पर पहली बार आदिवासी काव्यपाठ

झारखंड
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रांची। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका में पहली बार आदिवासी काव्य पाठ किया गया।यह काव्यपाठ वर्चुअल प्रोग्राम पोएट्री एंड पेंट नाइट में आमंत्रित सिमडेगा जिले की आदिवासी कवयित्री वंदना टेटे ने किया। यह पहला मौका था जब हार्वर्ड जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर आदिवासी कविता का पाठ किया गया। जल, जंगल, जमीन और इसे लेकर आंदोलन पर दर्जनों किताबें लिख चुकीं सिमडेगा की कवयित्री वंदना इस वर्चुअल आयोजन में अपनी कविता पेश की।

यह अंतरराष्ट्रीय काव्यपाठ 30 अप्रैल को भारतीय समयानुसार रात 10.30 से 11.30 बजे तक आयोजित हुआ। इस आयोजन में वंदना टेटे के अलावा और दो कवयित्री को आमंत्रित किया गया था। इनमें एक दक्षिण भारत (चेन्नई) की दलित कवयित्री मीना कंडासामी हैं और दूसरी ढाका (बांग्लादेश) मूल की अल्पसंख्यक कवयित्री दिलरूबा अहमद थीं। कवयित्री वंदना टेटे ने बताया कि पोएट्री एंड पेंट नाइट काव्यपाठ का आयोजन हार्वर्ड विश्वविद्यालय के हार्वर्ड साउथ एशियन एसोसिएशन की ओर से किया गया था, जिसमें उन्होंने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं।

वंदना टेटे पत्थलगड़ी, आदिवासियत आदि पर कई किताबें लिख चुकी हैं। आदिवासी दर्शन, सौंदर्यशास्त्र और आलोचनात्मक साहित्य पर उनकी कई किताबें प्रकाशित हैं। उनकी सबसे नई किताब ऑरेचर की पत्थलगड़ी और आदिवासियत अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन संस्थान नोशन प्रेस से छपी है। पिछले 16 वर्षों वे बहुभाषायी त्रैमासिक पत्रिका झारखंडी भाषा साहित्य अखड़ा निकाल रही हैं तथा अखड़ा संगठन की महासचिव भी हैं।