एक-एक रुपये के लिए तरसने वाला बेरोजगार आज बन गया गांव का रोल माॅडल

झारखंड
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खूंटी। कर्रा प्रखंड में एक पिछड़ा गांव है चांपी महतो टोली। वहीं रहता है संदीप कुमार। स्नातक की डिग्री पाने के बाद भी वह एक-एक रुपये के लिए मोहताज हो गया। सरकारी या प्राइवेट नौकरी पाने के लिए उसने काफी प्रयास किया, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। जनवरी 2020 में एक दिन वह खूंटी के जिला कृषि कार्यालय पहुंच गया और आत्मा के अधिकारियों से बातचीत की। वहां से उसे स्वरोजगार के बारे में जानकारी मिली। कृषि विभाग के आत्मा ने उसे आत्मनिर्भरता की राह दिखलायी। 

युवा किसान संदीप ने बताया कि उसने राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान केंद्र पलांडू, रांची में स्ट्रॉबेरी एवं परवल सहित अन्य फसलों की खेती का प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उसने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की। स्ट्रॉबेरी के फल बेचकर वह कम से कम पचास हजार रुपये की आमदनी प्राप्त करेगा। अभी तक स्ट्रॉबेरी की बिक्री से उसे तीस हजार का लाभ मिल चुका है। इसके अलावा उसने अपने खेतों में परवल की खेती की और 50 हजार रुपये से अधिक की आय प्राप्त की। संदीप ने बताया कि तीन-चार महीने उसके परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी। उसके पिता विपीन महतो धान, मड़ुआ आदि की पारंपरिक खेती कर येन-केन-प्रकारेण अपने परिवार की गाड़ी खींच रहे थे।

घर की माली हालत देख उसे काफी बुरा लगता था, पर कर क्या सकता था, लेकिन आत्मा ने उसकी किस्मत ही बदल डाली। आज वह न सिर्फ अपने गांव का, बल्कि आसपास के क्षेत्रों के लिए प्रेरणाश्रोत बन गया है। कई बेरोजगार युवक उसके पास वैज्ञानिक खेती के गुर सिखने आते हैं। 
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान केंद्र पलांडू, रांची से प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात बेरोजगार संदीप ने वर्ष 2021 के जनवरी महीने के आरंभ में अपने भूखंड की डेढ़ डिसमिल भूमि पर प्रथम बार स्ट्रॉबेरी की खेती की। स्ट्रॉबेरी की खेती से प्राप्त उपज को बेचने के पश्चात् उसने मार्च 2021 तक तीस हजार रुपये की आमदनी प्राप्त कर ली थी। संदीप ने बताया कि स्ट्रॉबेरी के फल की बिक्री से उसे लगभग 50 हजार की कमाई की उम्मीद है। 

नौकरी की आशा छोड़ खेती-किसानी की राह पर चलकर स्वावलंबन की ओर अग्रसर संदीप ने बताया कि फिलवक्त उसने पांच डिसमिल भूखंड पर परवल की खेती की है। उसे उम्मीद है कि परवल की खेती से उसे कम से कम 50 हजार रुपये की कमाई होगी। कुछ माह पूर्व तक रोजगार की तलाश में भटकता संदीप अब अपने परिवार का संबल बन चुका है। साथ ही वह अन्य बेरोजगार युवकों के लिए रोल माॅडल है। वह बताता है कि वह इच्छुक बेरोजगारों को भी खेती के लिए प्रेरित करेगा।