शारीरिक दूरी का वक्त, सामाजिक दूरी का नहीं: डॉ. नंद कुमार

नई दिल्ली सेहत
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नई दिल्ली। कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति सकारात्मक भाव रखे तो वह जल्दी स्वस्थ्य होता है। संक्रमित व्यक्ति को आशा और विश्वास बनाए रखना होगा। वहीं संक्रमित व्यक्ति से हमें शारीरिक दूरी जरूर रखनी चाहिए, लेकिन सामाजिक दूरी नहीं। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. नंद कुमार ने यह बात कही।

इस समय कोरोना संक्रमण से पूरा देश जूझ रहा है। कोई खुद कोरोना से संक्रमित है तो किसी के परिजन इसकी चपेट में हैं। ऐसे में भय का वातावरण है। इसी संदर्भ में दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. नंद कुमार से हिन्दुस्थान समाचार ने खास बातचीत की है। इस बातचीत में डॉ. नंद कुमार के कहा, “हमें नकारात्मक भाव को नहीं आने देना होगा। अगर कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति सकारात्मक भाव रखे तो वह जल्दी स्वस्थ्य होता है। संक्रमित व्यक्ति को आशा और विश्वास बनाए रखना होगा। इसके साथ-साथ कोरोना संक्रमित व्यक्ति से लगातार संवाद करते रहना चाहिए।

डॉ. नंद कुमार ने कहा कि कोरोना के अधिकतर मरीज ठीक हो रहे हैं। बहुत बड़ी संख्या में मरीज घर पर उपचार कर के ही ठीक हो जा रहे हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमित व्यक्ति को ऐसा भाव रखना चाहिए कि वे ठीक हो जाएंगे। उसे नकारात्मक खबरों की बजाय सकारात्मक खबरें देखनी चाहिए। जिससे वे खुद को विश्वास दिला सकें कि अधिकतर लोग इस बीमारी से ठीक हो रहे हैं। डॉ. कुमार ने कहा कि कोरोनाकाल में सही जानकारी लोगों तक पहुंचाना बहुत जरूरी है। अगर सही जानकारी लोगों तक पहुंचेगी तो लोग सजह रहेंगे। लोगों की भी जिम्मेदारी है कि वे सही जगह से जानकारी लें। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी की गई सूचनाओं पर अमल करें। कोरोना से संक्रमित होने पर अपने डॉक्टर से परामर्श लेकर ही दवा करें।

उन्होंने कहा कि भारत में कोरोना के मामले आने कम हो गए थे। इसी बीच लोग लापरवाह होते गए जिसके बाद मामले बढ़ने लगे। डॉ. कुमार ने कहा कि अगर कोरोना को लेकर लोगों में सही जानकारी होती, इसके खतरे के बारे में उन्हें पूरी तरह से अवगत कराया जाता तो लोग सावधान रहते। कोरोना की गंभीरता के बारे में पता होता तो लोग कुंभ में जाने से बचते। होली के त्योहार पर ध्यान रखते, सामाजिक उत्सव, शादी सरीखे कार्यक्रम में भीड़-भाड़ से बचते। इस बातचीत में डॉ. कुमार ने कहा कि कोरोना संक्रमण जिस तरह से फैल रहा है, उससे साफ है कि हमने कुछ गलतियां की हैं। जैसे शारीरिक दूरी बनाने में चूके, दैनिक दिनचर्या से अचानक मास्क गायब होने लगा, बार-बार हाथ धोने का सिलसिला रुक गया, हाथों को सेनेटाइड करना बंद कर दिए। त्योहारों पर कोरोना गाइडलाइन का पालन करना भूल गए। इन्हीं कारणों से कोरोना अचानक भारत में फैलने लगा। ऐसे में हमें फिर से कोरोना प्रोटोकॉल का शक्ति से पालन करना होगा।

बुखार होने पर न घबरायें
बुखार से जुड़े एक सवाल पर डॉ. नंद कुमार ने कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान बुखारा आता है। लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। दुनियाभर के विशेषज्ञों की यही राय है कि 85 से 90 फीसदी लोगों के बुखार स्वत: ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन देखा जा रहा है कि कोरोना संक्रमित की रिपोर्ट आते ही लोग घबरा जाते हैं। उनके दिमाग में अनायास कुछ बातें घर कर जाती हैं। उस स्थिति से निकलने की जरूरत है। बुखार होने पर डॉक्टर की सलाह पर ही दवा लें। इस बात का ध्यान रहे कि अधिकतर लोग घर पर रहकर ठीक हो रहे हैं।

स्वयं को मानसिक तौर पर स्वस्थ रखें
डॉ. कुमार ने कहा कि खुद को मानसिक तौर पर स्वस्थ रखें। इस स्थिति में सकारात्मक रहना बहुत जरूरी है। कोरोना संक्रमित होने से लोग घबरा जाते हैं, जिसके कारण उन्हें नींद नहीं आती। वे नकारात्मक बातें सोचने लगते हैं। ये सब इसी कारण होता है, क्योंकि संक्रमित व्यक्ति बीमारी के बारे में अधित सोचता है।

उन्होंने कहा कि इन दिनों समाचार पत्रों, मीडिया, सोशल मीडिया आदि में नकारात्मक खबरों की भरमार है। ऐसे में मरीज को इस तरह की खबरों से बचना चाहिए। इससे बचने के लिए अच्छी फिल्में देखें, लोगों से बातें करें, अपने आप को सकारात्मक कार्यों में व्यस्त रखें। अच्छी नींद लें और  दिन में तीन बार ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें। साथ ही शारीरिक दूरी रखते हुए लोगों से संवाद करें।