दूसरों का जीवन बचाने वाले रक्तवीर कृत्यानंद हार गए अपनी ही जिंदगी का जंग, फिर भी समाजसेवा को बना रखा था जीवन का मिशन

झारखंड
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गढ़वा। गढ़वा ने आज एक ऐसे शख्स को खो दिया, जो अपना खून देकर हमेशा दूसरों का जीवन सुरक्षित करते रहे। दुर्भाग्य से वह अपनी जिंदगी का जंग ही हार बैठे। दूसरों का जीवन बचाने वाले कृत्यानंद श्रीवास्तव आज अपनी ही जिंदगी का जंग कोरोना से हार गए। वह सब को छोड़कर अपनी अंतिम यात्रा पर निकल पड़े।

उनके निधन पर न सिर्फ गढ़वा रोया, बल्कि रो उठा पूरा सकल समाज। मंगलवार को उनकी तबीयत खराब होने के बाद उन्हें सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां उनका ऑक्सीजन लेवल कम पाया गया। कोविड वार्ड में इलाज के दौरान रात्रि करीब दो बजे उनकी मौत हो गई। समाजसेवी संस्था लायंस क्लब से जुड़े कृत्यानंद ने वैसे तो कई सामाजिक कार्य किए, लेकिन रक्त की कमी से जूझते-मरते लोगों को बचाना ही उन्होंने अपने जीवन का मिशन बना रखा था।

अपने इस मिशन में वह तब तक लगे रहते, जब तक उस व्यक्ति की जान नहीं बच जाती। ऐसे कार्य उन्होंने एक-दो या सौ बार नहीं, हजारों बार की होगी। आपको यह जानकर भी घोर आश्चर्य होगा कि जिस कृत्यानंद ने दूसरे लोगों की इतनी सेवा की, उनकी स्वयं की दोनों किडनी फेल हो चुकी थी। उनकी मां ने उन्हें एक किडनी देकर उन्हें दूसरा जन्म दिया था। उस दूसरे जन्म को कृत्यानंद ने समाजसेवा के लिए झोंक रखा था।

लायंस क्लब के ब्लड डोनेशन चेयरमैन के रूप में उन्होंने कई लोगों को रक्त उपलब्ध कराकर उन्हें जीवनदान दिलाया। लोग कह रहे हैं कि आधुनिक गढ़वा का इतिहास कृत्यानंद के योगदान को याद किए बिना अधूरा रहेगा।