रांची। झारखंड के बोकारो इस्पात नगर के रहनेवाले और रांची पशुचिकित्सा महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र प्रकाश कुमार का एक कविता संग्रह ‘आइना मसरूफ है’ हाल ही में प्रकाशित हुई है।
हर कविता ऐसी नहीं होती जिसे पढ़ने पर काल्पनिक चित्र मन में उभरे लेकिन ‘आइना मसरूफ है’ की कई कविताएं सोचने पर मजबूर करती हैं। जीवन में न दिख पाने वाले सच का कल्पनालोक में चित्र उकेरती है।
इस संग्रह में जिन्दगी की दौड़ में, दिखावे की होड़ में बदलते लोगों, खोखले सियासतदानों, मित्रता की संवेदना से लेकर आइने की मसरूफियत तक की कई जीवंत कहानी है। यह जिंदगी की सच्चाई को बता रही है I हमारी जिंदगी में कितने ही लोग आते हैं कितने चले जाते हैं, पर हर मोड़ पर वे अलग-अलग रूप में कुछ सीख दे जाते हैं।
यदपि इस काव्य संग्रह में प्रेम तत्व की प्रधानता है, किन्तु आस-पास के हालातों, सामाजिक द्वंद्व, विसंगतियों, व्यक्तित्व के दुहरापन आदि विषयों को समेटती रचनाओं की भी कमी नहीं है I चिंतनशील कवि कर्मवाद में विश्वास रखता है। कहता है आप जितना छिपें, छिपायें, ढकें, कोई लाभ नहीं होनेवाला। आइना अपने काम में हमेशा लगा है। आपके कर्मों का लेख-जोखा उसमें लगातार नोट हो रहा है, जिसका हिसाब देर-सबेर देना ही होगा।
अपने क्षेत्रीय भाषा के प्रति प्रेम के कारण वह एक भोजपुरी गीतकार भी हैं I प्रकाश एक पशु प्रेमी भी हैं I इनका कहना है कि जो सच्चे मायनों में पशु-पक्षियों से प्यार करता है, उसमे, दया, करुणा, संवेदना और कोमल भावनाओं का काफी विस्तार होता है, वह कभी किसी का अहित करने की नहीं सोच सकता। लिखने के अलावा इन्हें चित्रकारी, शिल्पकारी और पढने का भी शौक है I
आइना मसरूफ है (कविता संग्रह)
पृष्ठ: 105, कीमत: 150 रुपये
प्रकाशक: एक्सप्रेस पब्लिशिंग, चेन्नई