महाराष्‍ट्र में अनिल देशमुख को लेकर बढ़ा तकरार, अब शिव सेना ने लगाये गंभीर आरोप

देश मुंबई
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मुंबई। महाराष्‍ट्र में अनिल देशमुख को लेकर तकरार बढ़ता जा रहा है। अब शिवसेना ने भी अनिल देशमुख पर लगाया गंभीर आरोप लगाये हैं। उसने पार्टी के मुखपत्र में इसके बारे में लिखा है।

मुंबई पुलिस के सचिन वाजे केस में पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के तबादले को लेकर विवादों में घिरे महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख को लेकर सियासत तेज हो गई है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने उन्हें एक्सीडेंटल गृह मंत्री बताया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने कहा कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।

शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि अनिल देशमुख महाराष्ट्र के गृह मंत्री दुर्घटनावश बने। जयंत पाटिल और दिलीप वालसे-पाटिल जैसे वरिष्ठ राकांपा नेताओं के इनकार के बाद उन्हें यह पद मिला। इस बारे में जब एनसीपी के नवाब मलिक से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि देशमुख एक्सीडेंटल गृह मंत्री नहीं हैं। मलिक ने कहा, सामना के लेख में कहा गया है कि अनिल देशमुख एक्सीडेंटल गृह मंत्री हैं। संपादक को लेख लिखने का अधिकार है। शरद पवार ने उन्हें सोच समझकर जि‍म्मेदारी दी है। वे एक्सीडेंटल गृह मंत्री नहीं हैं। अगर गृह मंत्री में कुछ कमियां हैं तो वे उसे दूर करने का काम करेंगे।

राउत ने पार्टी के मुखपत्र सामना में प्रकाशित अपने साप्ताहिक स्तम्भ रोकटोक में कहा कि महाराष्ट्र में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस सरकार के पास नुकसान की भरपाई करने के लिए कोई तंत्र नहीं है। जैसा कि मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद देखा गया. सिंह ने आरोप लगाया है कि देशमुख ने पुलिस को हर महीने 100 करोड़ रुपये इकट्ठा करने के लिए कहा था। राउत ने अपने साप्ताहिक कॉलम में लिखा, देशमुख को गृह मंत्री का पद दुर्घटनावश मिला। जयंत पाटिल और दिलीप वालसे-पाटिल ने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। इसी कारण शरद पवार ने अनिल देशमुख को इस पद के लिए चुना। शायद इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि सत्तारूढ़ गठबंधन के एक वरिष्ठ मंत्री के बारे में उनकी इस टिप्पणी को खराब संदर्भ में लिया जा सकता है, राउत ने बाद में ट्वीट किया, बुरा न मानो होली है।

राउत ने कहा, अगर सचिन वाजे जैसा कोई कनिष्ठ अधिकारी मुंबई पुलिस आयुक्त के दफ्तर से वसूली का गिरोह चला रहा था, तो यह कैसे हो सकता है कि गृह मंत्री को इसके बारे में जानकारी न हो? राउत ने लिखा, वाजे मुंबई पुलिस में एक एपीआई था। किसने उसे इतनी शक्तियां दीं? वह किसका पसंदीदा था? यह सब सामने आना चाहिए।

तो वहीं बारामति में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए पवार ने कहा, महाविकास अघाड़ी 3 पक्षों की सरकार है। इसमें उद्धव ठाकरे शिवसेना की तरफ से फैसला लेते हैं कि किसी मंत्री बनना है, किसे राज्य मंत्री बनना है। इसी तरह कांग्रेस पार्टी की तरफ से सोनिया गांधी फैंसला लेती हैं और एनसीपी में शरद पवार फैसला लेते हैं. शरद पवार को प्रशासन का लंबा अनुभव है। इसलिए वही फैसला लेते हैं कि किसे मंत्री बनाना है और किसे राज्य मंत्री। इसमें कोई नमक डालने का काम न करे। इस बारे में सवाल करने का अधिकारी किसी को नहीं है।