- 450 पशुओं की स्वास्थ्य जांच की गई
- 470 पशुओं का टीकाकरण किया गया
रांची। भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातु गांव में शनिवार को प्रशिक्षण एवं पशु चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के रांची पशुचिकित्सा महाविद्यालय एवं प्रसार शिक्षा निदेशालय के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम हुआ। किसान गोष्ठी में गांव के करीब 100 पुरूष एवं महिला सदस्यों को पशुपालन प्रबंधन की उन्नत तकनीकी से प्रशिक्षित किया गया।
मौके पर डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने कहा कि उलिहातु गांव का बहुतायत परिवार पशुपालन से जुड़ा हैं। परंपरागत तरीके से पशुपालन में गांव के लोगों को पशुधन से सही लाभ नहीं मिल रहा हैं। अधिक आय एवं रोजगार के लिए पशुधन को व्यवसाय के रूप में अपनाने की जरूरत है। राज्य सरकार ने भी इस दिशा में अनेकों नई योजनाओं को लागू की है। उन्नत पशु नस्लों का बेहतर प्रबंधन से पशुपालन को अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है। पशुओं की देखभाल में नियमित अंतराल पर टीकाकरण एवं प्रत्येक दो महीने में कृमिनाशक दवा से उपचार कर पशुओं का रोग से बचाव द्वारा लागत और नुकसान में कमी के साथ अधिक लाभ लिया जा सकता है।
पशु प्रसार शिक्षा विभाग के मुख्य वैज्ञानिक डॉ आलोक कुमार पांडे ने बकरी, सूकर, मुर्गी एवं गाय के उन्नत नस्लों से लाभ एवं पशुओं के विभिन्न रोग एवं बचाव के बारे में ग्रामीणों को जागरूक किया।
गांव में राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत 15 सदस्यीय छात्रों के दल द्वारा पशुओं की स्वास्थ्य जांच एवं पशु चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। इंटर्नशिप एवं पीजी शोध से जुड़े कॉलेज के छात्रों का मार्गदर्शन राष्ट्रीय सेवा योजना ईकाई के प्रभारी डॉ प्रवीण कुमार एवं डॉ भूषण कुमार सिंह ने किया। शिविर में पशु शिक्षा नैदानिक संकुल प्रभारी डॉ अभिषेक कुमार के नेतृत्व में पशु चिकित्सा वैज्ञानिकों के दल ने छात्रों के सहयोग से 450 से अधिक पशुओं के स्वास्थ्य जांच की। जांच के उपरांत करीब 250 भेड़ एवं बकरी का पीपीआर टीकाकरण किया गया। करीब 220 गाय एवं भेंस को एफएमडी, गलघोंटू, लंगड़ा बुखार का टीकाकरण किया गया।
पशुओं के लिए दो महीने के अंतराल में उपयोग के लिए कृमि नाशक दवा का वितरण किया गया। पशुओं की जांच एवं चिकित्सा में पशु चिकित्सा वैज्ञानिकों में डॉ बंधनु उरांव, डॉ पंकज सेठ, डॉ आनंद कुमार, डॉ विद्या भूषण, डॉ लवली केरकेट्टा एवं डॉ अलोक सिंह ने सहयोग किया। मौके पर बिरसा मुंडा के पोते सुखराम मुंडा भी मौजूद थे।