काव्य संग्रह ‘चालीस पार की औरत’ मंडल रेल प्रबंधक को भेंट की

झारखंड
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रांची। भारतीय रेल के रांची रेल मंडल के जनसंपर्क विभाग में श्रीमती कलावंती सिंह कार्यरत हैं। घर परिवार और नौकरी के साथ उन्होने सतत सृजन से खुद को जोड़े रखा। इसका प्रतिफल है उनका नवीनतम काव्य संग्रह –चालीस पार की औरत। गुरुवार को रांची मंडल के मंडल रेल प्रबंधक नीरज अंबष्ठ को उन्होने पुस्तक भेंट की। इस मौके पर रांची मंडल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी नीरज कुमार भी उपस्थित थे। मंडल रेल प्रबंधक ने इसकी सराहना की।

इस संग्रह की भूमिका साहित्य अकादमी अवार्ड से पुरस्कृत प्रसिद्ध कवयित्री अनामिका ने लिखी है। उन्होने लिखा है-‘कलावंती की स्त्री केंद्रित कवितायें एक सबल प्रतिपक्ष रचती हैं।‘

स्त्री, बेटी, लड़कियां, पिता, मंझले भैया शीर्षक कवितायें हमारे आसपास के रिश्तों पर बुनी मार्मिक कवितायें हैं। ये कविता नई आत्मनिर्भर स्त्री की सत्ता को एक नए नजरिए से देखती है। उसके स्वतंत्र अस्तित्व की वकालत करती है। इन कविताओं में एक नयापन है। ताजगी है। एक प्रकार की लयात्मकता है, जिससे कवितायें याद रह जाती हैं। इन कविताओं में एक प्रकार की सहजता है। सीधी सादी भाषा में लिखी ये कवितायें मन को छूती हैं। इन कविताओं में एक रागात्मकता दिखाई देती है। जीवन की विडंबनाओं को करुण भाव से  देखती ये कवितायें मर्मस्पर्शी हैं।

बहुत कम उम्र से ही श्रीमती कलावंती सिंह की रचनाएं हिन्दी की बड़ी पत्र-पत्रिकाओं में छपी थीं। उन्‍होंने योगदा सत्संग कन्या विद्यालय से मैट्रिक, मारवाड़ी कन्या महाविद्यालय से बीए और रांची विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एमए और पत्रकारिता की पढ़ाई की है।  स्कूली जीवन से ही ये विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कवितायें, कहानियां, लेख, आलोचना लिखती रही हैं। दो संयुक्त कविता संग्रहों ‘शब्द संवाद’ व ‘शतदल’ में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।