रांची। झारखंड राज्य का गठन हुए 20 वर्ष हो गए। मूल रूप से झारखंड, बिहार से अलग होकर बना था। यहां 81 विधानसभा (सीटें) क्षेत्र हैं। राज्य गठन के 20 वर्ष बाद राज्य की आबादी बढ़ी। अब आवश्यकता है कि यहां विधानसभा की सीटों में बढ़ोतरी की जाए। यह आवाज सांसद ने लोकसभा में शून्य काल में उठाई।
सांसद ने कहा कि इसके लिए झारखंड की सरकार ने एक कमेटी का भी गठन किया था। उक्त कमेटी ने 4 जुलाई, 2005 को राज्य में विधानसभा की सीटों को बढ़ाने से संबंधित एक रिपोर्ट तात्कालीन राज्य सरकार को दी थी। इसमें राज्य में विधानसभा की सीटें बढ़ाकर 150 करने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। इसे सदन में अनुमोदन भी मिला था। झारखंड विधानसभा के गठन से ही राज्य में विधानसभा की सीटें बढ़ाने को लेकर चर्चा होती रही है।
सांसद ने कहा कि लगभग सभी राजनीतिक दल इस बात से सहमति भी रखते हैं कि जनसंख्या के अनुपात में विधानसभा की सीटें बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि क्षेत्र का विकास हो सके। राज्य के नागरिक अपने प्रतिनिधियों से सहजता, सरलता और सुगमता से मिल सके। विधानसभा की सीटें कम होने के कारण विधायकों पर भी अत्यधिक कार्य का दबाव होता है। इसकी वजह से वह सीधे जनता से जुड़ नहीं पाते।
सेठ ने कहा कि कई बार झारखंड से विधानसभा की सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है, परंतु तब की केंद्र सरकार ने ध्यान नहीं दिया। मैं आग्रह करना चाहता हूं कि इस महत्वपूर्ण विषय पर सरकार ध्यान दें। झारखंड में विधानसभा की सीटों को बढ़ाकर कम से कम 120 की जाए, ताकि राज्य और क्षेत्र का समुचित विकास और भी तेजी से हो सके।