सेहत पर भारी पड़ सकता है नमक से इश्‍क

विचार / फीचर सेहत
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शेली खत्री

फिल्‍म ओमकारा का एक गीत लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ था। इसके बोल थे ‘जुबां पर लागा-लागा रे नमक इश्‍क का’। अभिनेत्री विपाशु वासु पर यह फिल्‍माया गया है। हालांकि नमक से इश्‍क करना आपको भारी पड़ सकता है। नमक के कारण हार्ट अटैक भी हो सकता है। जी हां, आप बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं। नमक की अधिकता हमें हार्ट डिजीज की ओर ले जा रही है। तेजी से आधुनिक होते लाइफ स्टाइल में इसका खतरा 5 प्रतिशत तक बढ़ गया है।

भोजन का महत्वपूर्ण घटक

हमारे भोजन का महत्वपूर्ण घटक नमक। इस नमक के बिना कोई भी पकवान नहीं भाता। स्वाद की आधाशिला। व्रत उपवास भी उस समय कठिन लगने लगता है, जब उसमें नमक का प्रयोग वर्जित हो। मीठा खाए बिना तो आराम से कई दिन तक रह सकते हैं, पर नमक के बिना? सोच कर ही दिक्कत आती है। है न! और यही नमक हमारे लिए जानलेवा हो गया है।

हेमरेज का बन सकता है कारक

नमक आपको हाई बीपी या हार्ट अटैक के साथ ही ब्रेन हेमरेज का भी शिकार बना सकता है। जो नमक हम अमूमन अपने घर में उपयोग में ले रहे हैं और जो होटल ढाबे या पैकेट फूड में उपयोग में आ रहा है, वह है Nacl यानी सोडियम क्लोराइड। सोडियम की अधिकता के कारण यह हाई बीपी और हाइपर टेशन देता है। बाद में हार्ट डिजीज। हमारी आहार आदतें ऐसी हो गई हैं कि हमारे शरीर में लगातार अधिक नमक जा रहा है। समय रहते इसपर रोक आवश्यक है।

किस खाने में है अधिक नमक

आप ध्यान दीजिए कि आजकल पैकेट फूड और फास्ट फूड का प्रयोग बढ़ा है। इनमें नमक की मात्रा बहुत अधिक होती है। सामान्य से तीन से पांच गुना तक अधिक। चिप्स, कुरकुरे, विभिन्न कंपिनयों के मिक्सचर के पैकेट या इस प्रकार के अन्य स्नैक्स में नमक की मात्रा काफी अधिक होती है। नूडल्स आदि फास्ट फूड में भी नमक की भी मात्रा अधिक होती है। यही स्थिति रेस्टोरेंट और ढाबे के खाने के साथ भी है।

5 प्रतिशत तक कम होगी मौत

आकड़ों और एक्सपर्ट की मानें तो अपने खाने में सिर्फ तीन ग्राम नमक का उपयोग कम करके हार्ट अटैक या हार्ट डिजीज और हेमरेज के कारण होने वाली मौतों पर लगाम लगाया जा सकता है। डब्‍ल्‍यूएचओ ने प्रति व्यक्ति प्रतिदिन खाने में नमक की मात्रा 5 ग्राम रखने की सलाह दी है। शहरों में यह 9 ग्राम तक पहुंच चुका है। किसी किसी शहर में इससे भी अधिक। झारखंड के शहरों में भी युवाओं के बीच नमक का उपयोग काफी बढ़ा है साथ ही कार्डियोवास्कुलर बीमारियां भी बढ़ गई हैं।

स्लाइन वाटर से नुकसान

नमक हमारे शरीर में सिर्फ आहार के द्वारा ही नहीं जाता है, बल्कि स्लाइन वाटर के रूप में भी जाता है। अक्सर, दस्त, वीकनेस, वोमेटिंग, हाइफीवर या अन्य बीमारियों के इलाज के दौरान डॉक्टर हमें स्लाइन चढ़ाते हैं। इसमें भी सोडियम की मात्रा होती है। स्लाइन के कारण शरीर में अचानक से इसकी मात्रा बढ़ जाती है। कई बार यह स्ट्रोक का कारण बनता है। अगर स्लाइन चढ़ा हो तो उन दिनों और उसके कुछ दिन बाद तक खाने में नमक की मात्रा एक चम्मच से कम रखें।

बच्चे और युवा अधिक शिकार

जनरल फीजिशियन डॉ सतीश चंद्र के अनुसार ओपीडी में आने वाले हाइपर टेंशन और हाइबीपी के  20 से 25 प्रतिशत मरीज भोजन में अधिक नमक का उपयोग कर रहे होते हैं। परेशानी की बात यह है कि युवा और बच्चे भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। बच्चे और युवाओं के डेली डाइट में नमक तय मानक से अधिक पाया जा रहा है। जंक और पैकेट फूड की अधिकता इसकी मुख्य वजह है। अगर आहार आदतों में बदलाव नहीं हुआ तो आने वाले पांच वर्षों में ही मरीजों की संख्या 30 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।

5 ग्राम से कम रखें नमक की मात्रा

प्रतिदिन के खाने में नमक की मात्रा 5 ग्राम या उससे कम ही रखें। जो लोग बाहर का खाना खाते हैं या पैकेट फुड खाते हैं उनके खाने में नमक की मात्रा बढ़ जाती है। स्वाद और आदत के कारण हम समझ नहीं पाते हैं कि नमक अधिक है। उदाहरण के लिए आप जो चिप्स के पैकेट लेते हैं, नूडल्स या अन्य चाइनीज फूड खाते हैं, सॉस, मायोनोज सबमें नमक अधिक होता है। हम बिना सोचे समझे खाते रहते हैं। इनकी वजह से डेली के खाने में नमक बढ़ गया है। कुछ लोग सलाद आदि में ऊपर से नमक मिला कर खाते हैं, यह भी नहीं करना चाहिए। खाने में काले नमक और सेंधा नमक का उपयोग बढ़ाना चाहिए, इनमें सोडियम नहीं होता है।-डॉ मनीषा घई, डायटीशियन