किसानों के लिए पशुपालन बेहद लाभकारी : डॉ ओंकार नाथ सिंह

झारखंड
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  • पांच दिवसीय पशुपालन प्रबंधन विषयक प्रशिक्षण का समापन

रांची। खेती-बाड़ी में बेहतर पशुपालन प्रबंधन से किसान पशुधन से अधिक लाभ ले सकते हैं। कृषि क्षेत्र में पशुपालन एक बेहतर उद्यम के रूप में उभर कर सामने आया है। पशुओं के उन्नत नस्लों का पालन एवं प्रशिक्षण से मिले ज्ञान का सटीक प्रबंधन तकनीकी से उत्तम लाभ प्राप्त करें। सभी प्रशिक्षणार्थी नालंदा जिले से है, जहां ज्ञान की गंगा सदियों से बहती आई है। प्रशिक्षण से मिले ज्ञान की गंगा का प्रसार जिले के अन्य किसानों के बीच भी बांटे, ताकि अन्य किसानों को भी पशुपालन प्रौद्योगिकी का सही लाभ मिल सके। उक्त बातें कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने आत्मा, नालंदा के सौजन्य से पशु चिकित्सा संकाय में आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह के अवसर पर कही। उन्होंने सभी प्रशिक्षानार्थी को प्रमाण-पत्र प्रदान किया।

डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने प्रतिभागियों से कहा कि पशुओं की देखभाल एवं रोगों के बचाव से लागत व नुकसान में कमी कर अधिक लाभ लिया जा सकता है। उन्होंने पशुओं की खान-पान व आवास में उचित देखभाल, नियमित अंतराल पर टीकाकरण एवं प्रत्येक दो महीने में कृमिनाशक दवा से उपचार को प्राथमिकता देने की बात कही। मौके पर नाहेप परियोजना के परामर्शी डॉ कर्नेल सिंह रिषम ने भी पशु प्रबंधन के गुर बताये। प्रतिभागी शशि मोहन चक्रवर्ती ने प्रशिक्षण में मिले ज्ञान एवं तकनीकी को काफी उपयोगी व लाभकारी बताया।  

कार्यक्रम का संचालन पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ आलोक कुमार पांडे ने कि‍या। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण का आयोजन पशु प्रसार शिक्षा विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम के सभी 36 प्रतिभागी नालंदा जिले में आत्मा के माध्यम से पशुधन स्वयं सहायता समूह से जुड़े किसान है। प्रतिभागियों को पशु फार्म में पशुओं व बकरी पालन से सबंधित संभावना, विभिन्न नस्ल व विशेषताएं, आवास की व्यवस्था, विभिन्न समस्या व निदान, छौनों की देखभाल, आहार, रोग व बीमारी की पहचान एवं चिकित्सा आदि का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। मौके पर डॉ रविन्द्र कुमार, डॉ भुषण कुमार सिंह, डॉ पंकज कुमार, संगीता तिवारी, वीरेंद्र कुमार और बीटीएम आत्मा, नालंदा अंकुर कुमार आदि भी मौजूद थे।