केंद्रीय मंत्री गडकरी शुक्रवार को करेंगे ‘वर्धा मंथन-2021’ का उद्घाटन

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– समापन सत्र में वर्चुअल उपस्थित रहेंगे पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी

नागपुर। महाराष्ट्र के वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कस्‍तूरबा सभागार में 6 एवं 7 फरवरी को राष्ट्रीय कार्यशाला ‘वर्धा मंथन-2021’ का आयोजन किया गया है। इसका उद्घाटन केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी करेंगे। जबकि, समापन सत्र में पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री एवं शिक्षाविद् प्रो. मुरली मनोहर जोशी वर्चुअल उपस्थित रहेंगे 
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने बुधवार को ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कार्यशाला का उद्घाटन 6 फरवरी को सुबह 10.30 बजे होगा, जिसमें केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, महात्‍मा गांधी केंद्रीय विश्‍वविद्यालय, मोतिहारी (बिहार) के कुलाधिपति तथा खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के पूर्व अध्‍यक्ष डॉ. महेश शर्मा, वर्धा के सांसद रामदास तड़स तथा विनोबा के सचिव रह चुके बालविजय भाई भाग लेंगे। उद्घाटन सत्र की अध्‍यक्षता कुलपति प्रो. शुक्‍ल करेंगे। 

उद्घाटन सत्र के बाद दोपहर एक से दो बजे तक पहला तकनीकी सत्र ‘ग्राम विकास के देशज प्रयोग’ विषय पर, दूसरा सत्र उसी दिन अपराह्न साढ़े तीन से पांच बजे तक ‘खेती’ पर, तीसरा सत्र शाम साढ़े पांच से साढ़े छह बजे तक ‘कारीगरी’ विषय पर आयोजित होगा। कार्यशाला के दूसरे दिन 7 फरवरी को पूर्वाह्न 10 से साढ़े 11 बजे तक चौथा तकनीकी सत्र ‘स्वच्छता एवं स्वास्थ्य’ पर, पांचवां तकनीकी सत्र दोपहर 12 से डेढ़ बजे तक ‘धर्मपाल की भारतीय दृष्टि’ पर और छठा तकनीकी सत्र अपराह्न तीन से चार बजे तक ‘विश्‍वविद्यालयों में गांधी अध्ययन की दिशा’ पर आयोजित होगा। 

प्रो. शुक्ल ने कहा कि विभिन्न तकनीकी सत्रों में देशभर के प्रतिष्ठित कार्यकर्ता एवं प्रतिभागी ऑफलाइन तथा ऑनलाइन माध्‍यम से जुड़कर विमर्श करेंगे। इस कार्यशाला में देवाजी तोफा (मेंढा लेखा, गढ़चिरौली), सुनील देशपांडे (मेलघाट, अमरावती), मोहन हीराबाई (मेंढा लेखा), डॉ. सुधीर लाल (इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली), बसंत सिंह (नई दिल्‍ली), पोपटराव पवार (हिवरे बाजार), रवि गावंडे (यवतमाल), लोकेंद्र भाई (खादी बिरादरी, पुणे), दिलीप केलकर (मुम्बई), आशीष गुप्ता (जबलपुर), रूपेश पाण्डेय (वाराणसी), डॉ. आर.के. पालीवाल, राकेश दुबे, डॉ. हबीब, विवेक कटारे (भोपाल), संजय सराफ़, अनिल सांबरे, विशाखा राव, सचिन देशपांडे, श्रीप्रकाश पाठ्या (नागपुर), प्रो. अर्चना सुरेश स्याल (हरिद्वार), उल्हास जाजू (वर्धा) जबकि ऑनलाइन माध्‍यम से कार्यशाला में सहभागिता करेंगे। पद्मश्री अशोक भगत (झारखंड), अजीत महापात्र (अखिल भारतीय गौसेवा प्रमुख), अभय महाजन (दीनदयाल शोध संस्थान, चित्रकूट), डॉ. गीता धर्मपाल, पवन गुप्ता (मसूरी), इंदुमती काटदरे (अहमदाबाद) और राजकुमार भाटिया (दिल्ली) प्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित होंगे। उन्होंने बताया कि दो दिवसीय इस कार्यशाला का समापन सत्र 7 फरवरी को दोपहर 4 बजे होगा जिसमें मुख्‍य अतिथि के रूप में शिक्षाविद् एवं पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रो. मुरली मनोहर जोशी ऑनलाइन उपस्थित रहेंगे तथा विशेष उपस्थिति इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय कला केंद्र (नई दिल्‍ली) के सदस्‍य सचिव प्रो. सच्चिदानंद जोशी की रहेगी। समापन सत्र की अध्‍यक्षता कुलपति प्रो. शुक्‍ल करेंगे।

कुलपति प्रो. शुक्ल ने कहा कि देश में इस समय आत्‍मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए बहुविध यत्‍न किए जा रहे हैं। आत्‍मनिर्भर भारत निर्मित करने के विचार का मूल गांधी के ग्राम स्‍वराज के रचनात्‍मक कार्यक्रमों में निहित है। आत्‍मनिर्भर भारत के लिए आत्‍मनिर्भर गांव आवश्‍यक है और आत्‍मनिर्भर गांव के लिए आत्‍मनिर्भर व्‍यक्ति। आत्‍मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए समकालीन ग्राम विकास के परिप्रेक्ष्य में गहनता से विचार-मंथन की आवश्यकता है। बतौर प्रो. शुक्ल विभिन्‍न संगठनों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विगत 7 दशकों से ग्राम विकास के लिए रचनात्मक कार्य किए हैं। उनके अनुभवों को एकत्रित करने तथा समेकित प्रारूप तैयार करने के लिए इस राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। 

दो राज्यों के बड़े किसानों का आंदोलन

प्रो. शुक्ल ने देश की राजधानी दिल्ली की सीमा पर बीते कुछ दिनों से चल रहे आंदोलन को दो राज्यो के बडे़ किसानों का आंदोलन करार दिया है। उन्होंने कहा कि पुराने जमाने से चली आ रही स्वयंपूर्ण ग्राम व्यवस्था बीते 70 वर्षों में ध्वस्त हो गई है। इसके चलते देश की ग्रामीण आबादी का बड़ा हिस्सा बडे़ शहरों में स्थलांतरित हो गया है। नतीजतन उनके जीवन में बदहाली का जाल फैल चुका है। अब तक किसी किसान संगठन ने ग्रामीण इलाके से पलायन कर शहरों में रहने को मजबूर हुए कारीगर, छोटे किसान और मजदूरों की बात नहीं की। कल तक जो किसान संगठन मंडियो से आजादी और अपनी मर्जी से माल बेचने की अनुमति मांग रहे थे वह आज अचानक सब चीजों पर सरकारी नियंत्रण की मांग लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। प्रो. शुक्ल ने कहा कि किसान संगठनों के इस बदले हुए रुख पर चिंतन होना चाहिए।