आनंद कुमार सोनी
लोहरदगा। आपके अपने न्यूज वेब पोर्टल ‘दैनिक भारत 24’ में प्रकाशित खबर का असर हुआ है। खबर छपने के बाद मनरेगा योजना के तहत जिले में हुए कार्यों में गड़बड़ी की जांच का आदेश उपविकास आयुक्त अखौरी शशांक सिन्हा ने दिया है। सदर प्रखंड विकास पदाधिकारी राजेश डुंगडुंग को जांच कर प्रतिवेदन सौंपने का आदेश दिया।
लॉकडाउन के दौरान मनरेगा योजना में प्रवासियों को काम उपलब्ध कराकर पलायन रोकने का निर्देश राज्य सरकार ने जिलों को दिया था। प्रवासियों को काम उपलब्ध कराने के लिए लॉकडाउन के दौरान वित्तीय वर्ष 2020-21 में मनरेगा के तहत कच्चा नाली निर्माण कराने की योजना थी। हालांकि मजदूरों को काम नहीं मिल सका। रोजगार सेवक मेठ, पंचायत सचिव एवं पदाधिकारियों की मिलीभगत से योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया।

स्थल पर ना योजना का बोर्ड लगाया गया है और ना ही प्राकलन के आधार पर कार्य ही किया गया है। इस बात की सूचना उपविकास आयुक्त अखौरी शशांक सिन्हा को मिलने पर उन्होंने तत्काल सदर प्रखंड विकास पदाधिकारी राजेश डुंगडुंग को जांच कर प्रतिवेदन सौंपने का आदेश दिया। हालांकि जांच की जिम्मेवारी उन्हीं को सौंपी गई है, जिनके जिम्मे मनरेगा योजना के कार्यान्वयन का दायित्व था।
जानकारी के मुताबिक बीडीओ श्री डुंगडुंग, पंचायत सचिव मधुसूदन उरांव, मुखिया मीणा उरांव, बीपीओ विजय साहू, सीतामणी उरांव, जेई आदि जांच के लिए नौ फरवरी को हरमू पंचायत के नदिया और हरमू पहुंचे। जांच के क्रम में टीम वहीं गई, जहां थोड़ा बहुत कार्य हुआ था। नापी कराकर लीपापोती करने का प्रयास किया जा रहा था। उसी वक्त RTI कार्यकर्ता के पहुंचने के बाद कैमरे में मापी को कैद किया गया।

इस क्रम में यह साफ हो गया कि लंबाई, गहराई एवं चौड़ाई के प्राक्कलन के आधार पर काम कहीं भी नहीं कराया गया है। नदिया में भट्ठा के पास से सोमरा के घर तक जहां 700 फीट कच्चा नाला का निर्माण दिखाया गया है, वहां मापी किये जाने पर 220 फीट ही पाया गया।
सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी में हरमू में पंडित जी के घर से कच्चा नाली का निर्माण दिखाया जा रहा है। जमीनी स्तर पर उनके घर के आसपास किसी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं किया गया है। अन्य कई स्थलों पर काम नहीं होने के बारे में पता चल जाने पर जांच टीम आधे रास्ते से ही लौट गयी।

नदिया के कई मजदूरों ने शिकायत की कि मनरेगा के तहत कच्चा नाली निर्माण में काम करने के बाद आज तक उन्हें मजदूरी नहीं दी गयी। नदिया के ग्रामीण ने आरोप लगाते हुए कहा कि सोमा पाहन के घर से परदेशिया उरांव के घर तक की सड़क में जमीन के मालिक से पूछा नहीं गया और सड़क में नाली नहीं बनाकर उसकी जमीन में बना दिया गया। वहीं, 600 फीट के बजाय लगभग डेढ़ सौ फीट बनाकर छोड़ दिया गया।