
एसएनसीयू यूनिट आर्थिक रूप से कमजोर माता-पिता के लिए बनी बड़ा सहारा
रांची। सरकार की पहल से निजी अस्पतालों पर निर्भरता कम हो रही। इसके साथ नवजात शिशुओं की सुरक्षा के मामलों में परिदृश्य बदल रहा है। दरअसल, गुमला, चाईबासा, जमशेदपुर, रामगढ़ और सरायकेला के सरकारी अस्पतालों में एसएनसीयू की स्थापना हुई है। इससे हालात बदले हैं।
सरकार ने चुनौती के रूप में लिया
झारखंड में उचित इलाज के अभाव में नवजात शिशुओं की असमय मौत चिंता का विषय था। इनकी सुरक्षा को राज्य सरकार ने चुनौती के रूप में लिया। इसका परिणाम है कि सरकारी अस्पतालों में संचालित एसएनसीयू नवजातों की मौतों को कम करने में मददगार साबित हो रही है। विशेष रूप से उन माता-पिता के लिए जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। सरकारी स्वास्थ्य सुविधा पर ही निर्भर हैं।
अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती सरकार
स्वास्थ्य सुविधा के ढांचे को सुदृढ़ बनाना राज्य सरकार की प्राथमिकता सूची है। इसके लिये जिलों में विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (एसएनसीयू) की स्थापना की जा रही है। ये इकाइयां राज्य में बाल मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। वर्तमान में पांच जिला अस्पतालों को यह सुविधा उपलब्ध कराई गई है। अस्पतालों में स्थापित इन इकाइयों नवजात शिशुओं को उनके जन्म से 29 दिन तक देखभाल के लिए सभी आवश्यक संसाधनों से सुसज्जित किया गया है।
सभी अस्पतालों में सुविधा देने की योजना
सरकार का मानना है कि झारखंड में नियमित जांच की कमी के कारण नवजात शिशु के वजन में कमी, हांफना, पीलिया, हाइपोथर्मिया, कोल्ड शॉक, कौमा, दस्त, रक्तस्राव व अन्य लक्षणों का त्वरित उपचार नहीं हो पाता है। इन लक्षणों के त्वरित उपचार के लिए सरकार सक्रिय रूप से राज्य भर में एसएनसीयू स्थापित करने की कार्ययोजना पर कार्य कर रही है। वर्तमान में संचालित एसएनसीयू में नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए विशेष चिकित्सा अधिकारी के अतिरिक्त बाल रोग विशेषज्ञ, प्रशिक्षित नर्स और एक काउंसलर को नियुक्त किया गया है।