देश के 60 से अधिक शहरों ने चैलेंज के लिए आवेदन दिया
नई दिल्ली। स्मार्ट सिटी मिशन (आवास तथा शहरी कार्य मंत्रालय) ने ‘नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज’ कोहॉर्ट के लिए 25 शहरों का चयन किया है। इसमें झारखंड की राजधानी रांची भी शामिल है। इसके तहत चयनित शहरों को तकनीकी सहयोग और क्षमता निर्माण मुहैया करायी जाएगी, ताकि पार्कों का विकास कराया जाए। बच्चों एवं परिवार के लोगों के लिए सुरक्षित चलने योग्य गलियां बनाई जा सकें।
तीन वर्ष का है कार्यक्रम
‘नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज’ कोहॉर्ट बर्नाड वैन लीयर फाउंडेशन (बीबीएलएफ) और डब्ल्यूआरआई इंडिया के तकनीकी साझीदारी से प्रारंभ किया गया है। यह चैलेंज तीन वर्ष का कार्यक्रम है। सरकार के स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत बचपन अनुकूल पड़ोस को समर्थन देना है। इसके लिए देश के 63 शहरों ने आवेदन दिये थे। इनमें से 25 का चयन किया गया।
इन शहरों का हुआ चयन
नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज के लिए चुने गए शहरों में अगरतला, बैंगलुरु, कोयंबटुर, धर्मशाला, इरोड, हुबली-धारवाड़, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, काकीनाडा, कोच्चि, कोहिमा, कोटा, नागपुर, राजकोट, रांची, रोहतक, राउरकेला, सलेम, सूरत, तिरुवंतपुरम, तिरूप्पुर, उज्जैन, बडोदरा और वारांगल शामिल हैं। कोहॉर्ट को प्रारंभिक विजय दिखाने, लोगों की भागीदारी के लिए काम करने और प्रस्तावों के लिए सहमति बनाने के उद्देश्य से अगले छह महीनों तक परीक्षण और पायलट कार्य के लिए तकनीकी सहायता, क्षमता सृजन अवसर मिलेगा।
आवेदन आमंत्रित किये गये
चैलेंज के पहले चरण में सिटी एजेंसियों से आवेदन आमंत्रित किए गए। इसकी विभिन्न शहरों ने अनेक पायलट परियोजनाओं का प्रस्ताव किया है। इनमें आवासीय पड़ोस में नन्हें बच्चों के चलने के लिए कॉरिडोर, कमजोर बच्चों और शहरी सलम से देखरेख करने के लिए आने वाले लोगों के लिए आने-जाने का सुरक्षित रास्ता, नेचर प्ले, संवेदी प्रोत्साहन के लिए अवसर बढ़ाने और सरकारी स्कूल ग्राउंड में कक्षा खत्म होने के बाद उपयोग में नहीं लाए गए खुले स्थानों को अपनाना शामिल है। रास्तों और खुले स्थानों के अतिरिक्त पायलट प्रस्ताव का उद्देश्य सरकारी कार्यालय परिसरों में छोटे बच्चों की सुविधाओं की जरूरत को पूरा करना, बस शेल्टर तथा ट्रांजिट हब बनाना, आंगनवाड़ी विकसित करना और उम्र के मुताबिक खेलने की सुविधा विकसित करना, छज्जा, बैठने की व्यस्था और माताओं को स्तनपान कराने के लिए जगह की व्यवस्था करना है।
लाखों बच्चों की जरूरत पूरी होंगी
स्मार्ट सिटी मिशन के संयुक्त सचिव और मिशन निदेशक कुनाल कुमार ने कहा कि बालपन से ही स्वस्थ शहरी माहौल बनाने के काम में शहरों को शामिल करके चैलेंज ने पड़ोस स्तरीय कार्यक्रमों के महत्व को आकर्षक बनाया है। यह दृष्टिकोण स्मार्ट सिटी मिशन की रणनीति से जुड़ा हुआ है, ताकि जीवन गुणवत्ता बढ़ाने के लिए समावेशी जनमुखी समग्र विकास हो सके। उन्होंने कहा कि हमें भारत के शहरों की इस चैलेंज में शामिल होने और संवेदी शहरी नियोजन अपनाने में संकल्प दिखाने की पहल से गर्व हुआ है। इससे लाखों बच्चों और उनके परिवारों की जरूरतें और आकांक्षाएं पूरी होंगी।
शहरों की भागीदारी
तीन महीने की आवेदन अवधि के दौरान नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज के अंतर्गत व्यक्तिगत विचार-विमर्श करके और ऑनलाइन क्षमता सृजन कार्यशालाओं के माध्यम से 100 से अधिक शहरों को शामिल किया गया। 5 साल तक के बच्चों और उनकी देखभाल करने वाले लोगें की आवश्यकताओं पर फोकस करते हुए अनेक शहरों ने काफी उत्साह दिखाया। समूच्य रूप में 300 पायलट परियोजनाओं का प्रस्ताव मिला, जिससे 5 वर्ष तक के 12 लाख से अधिक बच्चों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार आएगा। सार्वजनिक स्थानों पर शारीरिक संपर्क के अतिरिक्त शाहरों ने व्यवहार परिवर्तन को समर्थन देने वाली सार्वजनिक गतिविधियों का प्रस्ताव किया है। शहरी नियोजन और विकास में बचपन की जरूरतों के अनुसार दीर्घकालिक नीति और प्रशासनिक परिवर्तनों पर विचार किया है।