ईडी ने जरेडा के पूर्व डायरेक्टर निरंजन कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया

अपराध झारखंड
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रांची। प्रवर्तन निदेशालय( ईडी )ने झारखंड ऊर्जा संचरण निगम के पूर्व ट्रांसमिशन एमडी और जरेडा के पूर्व डायरेक्टर निरंजन कुमार के खिलाफ मामला दर्ज किया है। निरंजन कुमार के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो की रिपोर्ट के आधार पर ईडी ने एफआईआर दर्ज करवाई है। झारखंड रिन्यूएबल इनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार, राम सिंह और अरविंद कुमार पर एसीबी में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। एसीबी ने प्रारंभिक जांच में निरंजन कुमार के विरुद्ध लगे आरोपों को सत्य पाया था। निरंजन कुमार बिजली विभाग के पूर्व ट्रांसमिशन एमडी पद पर रह चुके हैं।

इन पर कई मामले की जांच हो रही है। निरंजन कुमार पहले से निगरानी जांच के दायरे में हैं। छापामारी के दौरान कई संदेहास्पद कागजात मिले थे। वे जरेडा के डायरेक्टर भी थे। बगैर अहर्ता के उन्हे कई बड़े पोस्ट मिले हुए थे। उन पर आय से अधिक संपत्ति का मामला भी चल रहा है। निरंजन कुमार पर ट्रांसमिशन कंपनी के खर्च पर विदेश यात्राओं का भी आरोप है। सरकारी नियमों को ताक पर रखकर नौकरी करने और सरकारी खातों से 170 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का भुगतान करने सहित कई गंभीर मामलों में फंसे जरेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार समेत तीन अधिकारियों पर बीते 21 दिसंबर 2020 को एसीबी में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। 

गौरतलब है कि सीएम हेमंत सोरेन ने बीते 23 अक्टूबर 2020 को एसीबी की पीई रिपोर्ट विभाग के मंतव्य की समीक्षा के बाद प्रस्ताव को स्वीकृति दी थी। तीनों पदाधिकारियों पर पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार करने के आरोपों की पीई में पुष्टि हो गई थी। जिनपर प्राथमिकी दर्ज करने की स्वीकृति मिली थी, उनमें निरंजन कुमार के अलावा तत्कालीन परियोजना निदेशक अरविद कुमार बलदेव प्रसाद और जरेडा में प्रतिनियुक्त रहे विद्युत कार्यपालक अभियंता श्रीराम सिंह शामिल थे। निरंजन कुमार ने सरकार के अलग अलग खातों से लगभग 170 करोड़ रुपये का भुगतान किया। इन पर पूरे परिवार विदेश भ्रमण करने, अपनी संपत्ति विवरण में अपनी पत्नी के नाम से अर्जित संपत्ति का कोई विवरण नहीं देने, निविदा में मनमानी तरीके से किसी कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने तथा विभिन्न निविदा में बगैर बोर्ड की सहमति की निविदा की शर्तें बदलने का आरोप है।

भारतीय डाक-तार लेखा एवं वित्त सेवा के वरीय पदाधिकारी निरंजन कुमार पर आरोप है कि वे बिना अर्हता पूरी किए पुराने परिचय का दुरुपयोग कर जरेडा के निदेशक पद पर बने रहे। 27 जनवरी 2019 को प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो जाने के बाद इनकी प्रतिनियुक्ति अवधि का विस्तार केंद्र या कार्मिक विभाग ने नहीं किया। ये पद पर बने रहे और वेतन भी उठाते रहे।