रांची। झारखंड की राजधानी रांची स्थित सरला बिरला विश्वविद्यालय के सभागार में सभी संकायाध्यक्ष, सह-संकायाध्यक्ष एवं शिक्षकों के लिए संगोष्ठी मंगलवार को हुई। इसकी अध्यक्षता कुलपति प्रो. (डॉ) गोपाल पाठक ने किया। इसका विषय समयक परिवेश में शिक्षा के महत्व एवं उपयुक्त सुधार पर केंद्रित था। उन्होंने कहा कि शिक्षक बनना दुनियां की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि है। उपयुक्त एवं व्यवहार परक शिक्षा के बिना किसी भी समाज के विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती। कोई भी समाज विकास के मार्ग पर तब अग्रसर हो सकता है, जब उसमें रहने वाले सभी व्यक्ति सही मायने में शिक्षित हों।
कुलपति ने कहा कि शिक्षा का मतलब सिर्फ पढ़-लिख लेना ही नहीं है। वास्तविक शिक्षा तो वह है, जो अपने-आपके साथ-साथ दूसरों के भौतिक एवं आध्यात्मिक विकास में कारगर सिद्ध हो। क्योंकि भौतिक विकास से मनुष्य सांसारिक सुखों को भोग कर पाता है। आध्यात्मिक विकास से मन को शांति प्राप्त होती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज में प्रचलित शिक्षा व्यवस्था में कुछ कारगर बदलाव की आवश्यकता है, जिसमें हम शिक्षकों की महती भूमिका होगी। राष्ट्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शिक्षा एक महत्वपूर्ण साधन है। अतः सामाजिक उद्देश्यों के संकुचित अर्थ में देश में शिक्षा की एक सुनिश्चित प्रणाली बनाकर लागू करने की आवश्यकता है।
प्रो पाठक ने कहा कि पाठ्यक्रम, शिक्षण पद्धतियों एवं अनुशासन को भी इसी प्रकार से आयोजित करने की जरूरत है, ताकि व्यक्ति की इच्छा एवं आकांक्षाओं का संकुचन हो सके। इससे उसमें आज्ञा-पालन, अनुशासन, संगठन तथा अपार भक्ति के भाव का विकास हो सके और वह राष्ट्र कल्याण हेतु सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए सदैव तत्पर रहे।
कुलसचिव प्रो (डॉ) विजय कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य शिक्षार्थियों में व्यावसायिक कुशलता की उन्नति करना है। इसको प्राप्त करने के लिए व्यावसायिक कुशलता को समुन्नत करने की आवश्यकता है। अतः शिक्षार्थियों के मन में श्रम के प्रति आदर एवं रूचि उत्पन्न करने की जरूरत है। यहां तक कि पाठ्यक्रम में विभिन्न व्यवसायों को भी समुचित स्थान मिलनी चाहिए। परिणामस्वरूप हमें विभिन्नय व्यवसायों के लिए कुशल कारीगर प्राप्त होंगे, जिससे देश में औद्योगिक विकास के साथ-साथ निरंतर आर्थिक समृद्धि भी प्राप्त होगी।
कार्यक्रम का संचालन आशो अस्थाना एवं धन्यवाद डॉ नित्या गर्ग ने किया। इस अवसर पर सभी संकायाध्यक्ष प्रो एसबी डांडीन, प्रो संजीव बजाज, सह संकायाध्यक्ष प्रो राधा माधव झा, डॉ पार्थ पॉल, डॉ संजीव कुमार, प्रो राहुल वत्स, श्रीमती सुबानी बारा सहित शिक्षक उपस्थित थे।