- बीएयू में उद्यान प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन
रांची। प्रदेश में बागवानी के क्षेत्र में एक जिला, एक उद्यान फसल और एक उत्पाद की दिशा में काम किया जा रहा है। उद्यान विभाग में स्टाफ की कमी है। इसके कारण योजना को गति देने के लिए जल्द ही प्रखंड एवं जिला स्तर पर समन्यवयक रखे जायेंगे। उक्त बातें उद्यान निदेशक वरूण रंजन ने कही। वे 6 फरवरी को बीएयू में उद्यान प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
उद्यान निदेशालय, झारखंड सरकार के सौजन्य से बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में बागवानी क्षेत्र के सतत विकास में बेहतर उद्यानिकी प्रणाली की सरकारी योजनाओं का समाकलन विषयक दो दिवसीय उद्यान प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण हुआ। निदेशक ने कहा कि प्रदेश में बागवानी क्षेत्र में तेजी से विकास को गति देने के लिए उद्यान पदाधिकारियों को योजनाओं के लाभुकों के निरंतर संपर्क में रहने की जरूरत है। प्रदेश के कई स्थानों में छोटे स्तर पर बागवानी के विभिन्न उद्यम के क्लस्टर विकसित हो रहे है। उद्यमों के क्लस्टर का दायरा बढ़ाने और इसे गति देने होगी।
श्री रंजन ने उद्यान प्रशिक्षकों को क्षेत्र विशेष एवं किसानों की उद्यम जरूरतों के मुताबिक प्रशिक्षण का आयोजन देने पर बल दिया। उन्होंने बताया कि चालू वर्ष में हजारीबाग में सब्जी और दुमका में फूल पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने, 25 नर्सरी का सुदृढीकरण, आगामी 5 वर्षो में प्रदेश के सभी 150 नर्सरी का पुनः विकास, 2 जिलों में बिरसा स्मार्ट एग्रो फार्म को विकसित करने आदि कार्यक्रम चलाये जा रहे। मौके पर निदेशक ने रिसोर्स पर्सन एवं प्रतिभागी उद्यान पदाधिकारियों एवं केवीके वैज्ञानिकों को सर्टिफिकेट और मोमेंटो देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर मौजूद डीन एग्रीकल्चर डॉ एमएस यादव ने उद्यान विभाग एवं बीएयू के बेहतर तालमेल एवं समन्वय से प्रदेश में उद्यान विकास को दिशा देने पर जोर दिया। डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने पशुपालन एवं बागवानी को किसानों की आय बढ़ाने में सबसे उपयुक्त बताते हुए कृषि क्षेत्र में दोनों उद्यम को प्राथमिकता देने की बात कही। डायरेक्टर एक्सटेंशन डॉ जगरनाथ उरांव ने जिला स्तर पर केवीके वैज्ञानिकों के तकनीकी मार्गदर्शन में कार्यक्रम चलाये जाने पर जोर दिया। प्रतिभागियों से केवीके गढ़वा के डॉ अशोक कुमार और जिला उद्यान पदाधिकारी, हजारीबाग रविश चन्द्र ने प्रशिक्षण के अनुभवों एवं ज्ञान को साझा किया।
मौके पर कोर्स को-ऑर्डिनेटर डॉ एस कर्मकार ने बताया कि इस कार्यक्रम के 5 तकनीकी सत्रों में योजना, शोध, प्रसार एवं प्रशासी से जुड़े 55 प्रतिभागियों ने भाग लिया। उद्यान के अभिनव तकनीकों के बारे में जाना। स्वागत उपनिदेशक उद्यान विजय कुमार, संचालन जिला उद्यान पदाधिकारी विकास कुमार और धन्यवाद प्रो डीके रूसिया ने किया। मौके पर डॉ अंगदी रब्बानी, डॉ एमके गुप्ता, उमेश प्रसाद, डॉ रंजय सिंह, डॉ राकेश रंजन, डॉ अमृत झा आदि मौजूद थे।