शांति के दूत कबूतर को लेकर दो देश हुए आमने-सामने

दुनिया
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आस्ट्रेलिया। कतूबर को शांति का दूत माना जाता है। हालांकि एक कबूतर की वजह से विश्व के दो देश आमने-सामने हो गये। उनके बीच तनातनी हो गई। जांच पड़ताल होने के बाद मामला शांत हुआ।

दरअसल ‘जो’ नामक कबूतर को लेकर ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच तनातनी हो गई। यह कबूतर अमेरिका के ऑरेगन से 13 हजार किमी की उड़ान भरकर 26 दिसंबर को मेलबर्न पहुंचा तो उसके पैर में ‘जो’ नाम का बैंड बंधा था। इसे देखकर अधिकारियों ने बायोसिक्योरिटी का खतरा लगा और उसे मारने का फैसला कर लिया।

ऑस्ट्रेलिया को लगा कि इस कबूतर से उसके यहां बीमारी फैल सकती है। ये कबूतर खाद्य सुरक्षा और पोल्ट्री फॉर्मों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है।

इसके बाद अमेरिका के ओकालहोमा के रेसिंग पिजन यूनियन के मैनेजर डीयोन रॉबर्ट्स ने कहा कि कबूतर के पैर में बंधा बैंड फर्जी है। अमेरिका के जिस ब्लू बार पिजन को ये बैंड बांधा जाता है, वो ऑस्ट्रेलिया द्वारा पकड़ा गया कबूतर नहीं है। ऐसी स्थिति में उसे मारा नहीं जा सकता है। ये उसके जीवन जीने की स्वतंत्रता के खिलाफ है।

फ‍िर ऑस्ट्रेलिया के कृषि विभाग ने जांच पड़ताल की। इसमें पता चला कि इस कबूतर के पैर में फर्जी बैंड बांधा गया था। जांच में ये भी पता चला है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की जीत की खुशी में किसी ने ये बैंड कबूतर के पैर में बांधकर उड़ा दिया, जिससे असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। संभव है कि कबूतर ऑस्ट्रेलिया का ही हो और उससे कोई खतरा नहीं है। अब कबूतर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी।

ऑस्ट्रेलिया में मिला ये कबूतर सोशल मीडिया पर चर्चा बन गया है। अमेरिका के विक्टोरिया के पशु न्याय पार्टी के कानूनविद एंडी मेडिक ने कहा ‘जो’ नाम के कबूतर को स्वतंत्र रूप से जीने का अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि जो के पैर में जो बैंड है उससे साबित होता है कि वो अमेरिकी नहीं है और किसी भी हाल में उसे मारने की जरूरत नहीं है।