रांची। झारखंड में व्यवसायिक बसों के टैक्स माफी की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। जिन बस मालिकों ने उस अवधि में टैक्स जमा करा दिया है, उसे समायोजित कर दिया जायेगा। स्कूली बसों का स्कूल खुलने के एक दिन पूर्व तक का टैक्स भी माफ किया जायेगा। उक्त जानकारी परिवहन सचिव के रवि कुमार ने झारखंड चैंबर के पदधारियों को दी। परिवहन व्यवसायियों की समस्याओं के निराकरण को लेकर चैंबर की बैठक सचिव के साथ 18 जनवरी को हुई।
इस के दौरान राज्य कैबिनेट द्वारा स्वीकृत लॉकडाउन अवधि के व्यवसायिक बसों के टैक्स छूट को प्रभावी करने के साथ ही स्कूली बसों के टैक्स छूट पर वार्ता की गई। राज्य में केवल धनबाद में भारी मोटर ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र की उपलब्धता के कारण व्यवसायिक वाहन के ड्राइवरों की कमी के सवाल पर उन्होंने कहा कि दुमका में यह प्रशिक्षण केंद्र कार्यरत हो चुका है। शीघ्र ही रांची में भी कार्यरत होगा।
परिवहन व्यवसायियों की समस्याओं पर चैंबर द्वारा विभागीय सचिव को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में मुख्यतः केंद्रीय परिवहन मंत्रालय द्वारा वाहनों के विभिन्न दस्तावेजों की वैद्यता 31 मार्च 2021 तक के निर्णय को झारखंड में प्रभावी बनाने, लोगों की कठिनाईयों को देखते हुए रांची में दो मोटरयान निरीक्षकों की पदस्थापना करने, पासपोर्ट कार्यालय की तर्ज पर राज्य में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए मोटर व्हिकल के प्रोफेशनल्स को अधिकृत करने, व्यवसायिक बसों के विवादित बकाया कर का भुगतान करने के लिए वनटाइम सेटलमेट स्कीम लागू करने, राजस्थान सरकार की तर्ज पर राज्य में निबंधित बस किसी भी जिला में मोटरयान निरीक्षक से दुरूस्ती प्रमाण पत्र के लिए अपने व्यवसायिक वाहनों का निरीक्षण की अनुमति देने, बसों के झारखंड से उत्तर प्रदेश आवागमन के लिए राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश से पारस्परिक समझौता करने और केंद्र सरकार द्वारा मोटरवाहन अधिनियम में तय जुर्माना राशि की समीक्षा करने का सुझाव सम्मिलित है।
चैंबर ने यह भी अवगत कराया कि दुमका और पलामू क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार में अध्यक्ष व सचिव का पद रिक्त होने एवं कोल्हान परिवहन प्राधिकार में भी कार्य सुचारू नहीं हो रहा है। इसके कारण व्यवसायिक वाहन मालिकों को कठिनाई हो रही है। इस दिशा में विभागीय कार्रवाई के साथ ही प्राधिकार की बैठक जल्द से जल्द कराने का आग्रह किया गया। यह भी कहा गया कि राज्य गठन के बाद स्लीपर बसों का परिचालन अन्य राज्यों की तर्ज पर प्रारंभ हुआ। उस समय स्लीपर बसों के कर का निर्धारण नहीं किया गया था। बसों का दुरूस्ती प्रमाण पत्र सीट की बैठान क्षमता की गणना के अनुसार मोटरयान निरीक्षक द्वारा किया गया था। अब हमारे राज्य में स्लीपर बस पर कर का निर्धारण (एक स्लीपर बस पर 2 सीट का टैक्स लिया जाना) किया गया है।
कर निर्धारण के बाद अब स्लीपर बसें, स्लीपर बसों पर कर का भुगतान कर रही हैं। इससे पहले कि सैकडों स्लीपर बसें या तो बैठान क्षमता के अनुसार टैक्स दे रही हैं या फिटनेस के अभाव में बंद खडी हैं, जिससे व्यवसाय का भारी नुकसान हो रहा है। सरकार को करोडों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है। यह आग्रह किया गया कि राज्य के सभी स्लीपर बसों को नियमित रूप से कर निर्धारण करते हुए वैद्यता प्रदान की जाय, जिसपर विभागीय सचिव ने इन समस्याओं को समझते हुए कहा कि इन समस्याओं पर कार्रवाई चल रही है, शीघ्र ही विभाग द्वारा निर्णय लिये जायेंगे।
चैंबर उपाध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि राज्य परिवहन प्राधिकार द्वारा रिफ्लेक्टिव टेप की कंपनी व उसका दर निर्धारित किया गया है। अन्य कंपनियां (कैट व एआईआर से मान्यता प्राप्त) उससे भी कम दरों पर रिफ्लेक्टिव टेप की बिक्री करने को ईच्छुक हैं। प्रतिस्पर्धात्मक माहौल में किसी भी एक कंपनी का एकाधिकार नहीं हो, इसके लिए प्राधिकार द्वारा तय किये गये दर को रद्द करते हुए अन्य कंपनियों को भी प्रतिस्पर्धा का अवसर दिया जाय।
विभागीय सचिव ने चैंबर द्वारा सुझाये गये समस्त बिंदुओं पर साकारात्मक रूख दिखाते हुए त्वरित कार्रवाई की बात कही। मौके पर चैंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबडा, उपाध्यक्ष किशोर मंत्री, महासचिव राहुल मारू तथा पूर्व अध्यक्ष विनय अग्रवाल उपस्थित थे।