दुमका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में झारखंड के दुमका जिले में स्थित एक स्कूल की तारीफ की। उन्होंने कहा कि Art और Colors के जरिए बहुत कुछ नया सीखा जा सकता है। किया जा सकता है। झारखंड के दुमका में किए गए एक ऐसे ही अनुपम प्रयास के बारे में मुझे बताया गया। यहां Middle School के एक Principal ने बच्चों को पढ़ाने और सिखाने के लिए गांव की दीवारों को ही अंग्रेजी और हिंदी के अक्षरों से paint करा दिया। साथ ही, उसमें अलग-अलग चित्र भी बनाए गए हैं। इससे गांव के बच्चों को काफी मदद मिल रही है। मैं, ऐसे सभी लोगों का अभिनंदन करता हूं, जो इस प्रकार के प्रयासों में लगे हैं।
अब हुनर भी सीख रहे हैं बच्चे
यह स्कूल दुमका के जरमुंडी के सुदूर ग्रामीण इलाके में स्थित है। यह गांव आदिवासी बहुल है। कोरोना संक्रमण के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चों की शिक्षा हुई। बावजूद इसके जरमुंडी प्रखंड के सुदूर ग्रामीण इलाके में स्थित आदिवासी बहुल गांव के उत्क्रमित मध्य विद्यालय डुमरथर में कोरोना काल में भी बच्चे घरों की दीवारों में ब्लैक बोर्ड बनाकर महीनों से पढ़ाई कर रहे हैं। इसके साथ ही डुमरथर विद्यालय के बच्चे पढ़ाई के साथ अन्य हुनर भी सीख रहे हैं। विद्यालय के प्रधानाध्यापक की पहल पर ग्रामीण एवं शिक्षक मिलकर बच्चों को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों से जरूरी चीजें बनाना सीखा रहे हैं।
इन विषयों का दिया जा रहा ज्ञान
प्रधानाध्यापक डॉ सपन कुमार ने बताया कि बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ कृषि, बागवानी, हैंडीक्राफ्ट, ड्राईंग और पेंटिंग आदि का भी ज्ञान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है। इसी को ध्यान में रखकर बच्चों को प्रत्येक दिन पढ़ाई के साथ-साथ उसकी रूचि के अनुसार उन्हें हुनरमंद बनाया जा रहा है।

एक और प्रयोग किया है स्कूल ने
यहां बता दें कि विगत कई माह से डुमरथर गांव की गलियों में घरों की दीवारों पर सौ से अधिक ब्लैक बोर्ड बनाकर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। ब्लैक बोर्ड में प्रत्येक दिन दर्जनों डब्बे चॉक पेंसिल की आवश्यकता होती है। चॉक की आवश्यकता को पूरा करने के लिए विद्यालय प्रबंधन ने प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) और चॉक बनाने के लिए सांचा उपलब्ध करा कर गांव में ही चॉक निर्माण कार्य शुरू कराया है। ग्रामीणों के साथ बच्चे भी चॉक पेंसिल बनाना सीख रहे हैं।
ब्लैक बोर्ड का निर्माण भी किया
इसी प्रकार बच्चों के बैठने के लिए ताड़ के पत्तों से चटाई बनायी जा रही है। साफ सफाई के लिए झाड़ू की व्यवस्था के लिए भी स्थानीय स्तर पर मौजूद सामग्री से झाड़ू बनाया जा रहा है। ब्लैक बोर्ड का निर्माण भी ग्रामीणों ने प्राकृतिक रूप से उपलब्ध मिट्टी, राख, पानी आदि से बने रंग से मिलाकर किया है।
जज्बा से निकला अलग रास्ता
लॉकडाउन में बच्चों को पढ़ाने के लिए झारखंड सरकार द्वारा डीजी साथ कार्यक्रम चलाया जा रहा है। हालांकि आदिवासी बहुल सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित डुमरथर गांव में अभिभावकों के पास स्मार्टफोन नहीं रहने के कारण डीजी साथ कार्यक्रम का संचालन नहीं हो पा रहा था। ऐसे में विद्यालय के प्रधानाध्यापक सपन कुमार के दीवारों को ब्लैक बोर्ड बनाने के आइडिया से बच्चे लगातार यहां शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इस तकनीक से पढ़ाई में ग्रामीणों का भी उन्हें काफी सहयोग मिल रहा है। विद्यालय प्रबंधन के इस पहल की प्रखंड से लेकर राज्य स्तर पर काफी सराहना की जा रही है।