गलवान के ‘बलवान’ कर्नल संतोष बाबू को महावीर चक्र

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​​चीन के सैनिकों से मुकाबला करते शहीद हुए ​​19 अन्य ​जवानों को मिलेगा ​​​’वीर चक्र​’​

सभी 20 सैनिक गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर वीरता पुरस्कारों से होंगे सम्मानित

नई दिल्ली। ​चीन के खिलाफ बीते वर्ष लद्दाख की गलवान घाटी में हुई झड़प में शहीद होने वाले कर्नल संतोष बाबू को इस साल ​देश के दूस​रे सर्वोच्च युद्ध वीरता पुरस्कार ​​’महावीर चक्र​’​ ​​से नवाजा जाएगा​। इसी घटना में चीन के सैनिकों से मुकाबला करते शहीद हुए ​​19 अन्य ​जवानों को ​​​’वीर चक्र​’​ ​मिलेगा। ​​गलवान संघर्ष में ​शहीदों को सम्मानित ​किये जाने से स्पष्ट है​ कि भारत लद्दाख में चीन के साथ मौजूदा गतिरोध को युद्ध के रूप में मान रहा है​​।​​ गलवान संघर्ष में मारे गए ​​सभी 20 सैनिकों को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया ​जायेगा​।

​गणतंत्र दिवस के मौके पर हर साल वीरता पुरस्कारों का ऐलान होता है​। भारतीय सेना की ओर से इस बार लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) से लेकर लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) तक कई ऑपरेशन में शामिल हुए जवानों को सम्मानित करने की सिफारिश की गई है। ऐसे में गणतंत्र दिवस के इस खास अवसर पर देश के जवानों का सम्मान कर उनका हौसला बढ़ाने की एक कोशिश की जा रही है। इस बार पुलवामा के आतंकी हमले में शहीद हुए एएसआई मोहन लाल को भी इस साल गैलेंट्री अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। मोहन लाल ने ही आईईडी लगी कार को पहचानकर गोलीबारी की थी।

क्या थी ​गलवान घटना ​
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध बढ़ने पर भारतीय और चीन सेना के स्थानीय अधिकारियों के बीच हुई बैठक में चीन ने विवादित इलाके से पीछे हटने का वादा किया। 15 जून की शाम को 7 बजे भारतीय सेना को खबर मिली कि चीन फिर से गलवान घाटी में घुसपैठ की साजिश रच रहा है। इस पर तुरंत 16 बिहार रेजिमेंट के जवानों के साथ कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू खुद वहां पर पहुंचे। कुछ ही देर में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हाथापाई शुरू हो गई। 15 जून की शाम को चीनी सैनिकों के साथ हाथापाई से शुरू हुई झड़प आधी रात तक खूनी झड़प में बदल गई थी।

करीब 4-5 सौ चीनी सैनिकों के मुकाबले भारतीय सेना के कर्नल संतोष बाबू के नेतृत्व में सैनिकों की संख्या महज 106 थी लेकिन फिर भी भारतीय सैनिक चीनियों पर भारी पड़ रहे थे। हालांकि इसी दौरान भारतीय सेना की दूसरी टीम भी पहुंच गई थी। इसी दौरान कर्नल संतोष बाबू, दो सैनिक हवलदार पलानी और सिपाही ओझा चीनियों के नुकीले हथियारों से किए गए हमले में शहीद हो गए। इसके अलावा 17 भारतीय सैनिक नदी में गिरकर शहीद हुए। इस दौरान भारतीय जवानों ने 40 से ज्यादा चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतारा, साथ ही वहां से उन्हें खदेड़ दिया। हालांकि आज तक चीन ने अपने मृत जवानों की संख्या का खुलासा नहीं किया है।

महावीर चक्र
​यह सम्मान ​भारत का युद्ध के समय वीरता का पदक है​ जो अब तक 222 बहादुरों को दिया जा चुका है​। यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता या प्रकट शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है। यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है। वरीयता क्रम में यह परमवीर चक्र के बाद आता है।​​​​ गोलाकार और निर्धारित मानक की ​चांदी से निर्मित होता है एवं इसके अग्रभाग पर पांच कोनों वाला उभरा हुआ तारा उकेरा गया है जिसके कोने गोलाकार किनारों को छूते हैं। इस पदक का व्यास 1.38 इंच का है इसके केंद्र भाग में राज्य का प्रतीक अपने ध्येय के साथ उकेरा गया है जो की उभरा हुआ है। तारा पॉलिश किया हुआ है और केन्द्र भाग स्वर्ण रंजित है। इसके पीछे के भाग पर हिन्दी और अंग्रेजी शब्दों के बीच में दो कमल के फूलों के साथ हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में महावीर चक्र उकेरा गया है​​।​​​​ इसके साथ संलग्न फीता आधा सफेद रंग और आधा नारंगी रंग का ​होता ​है।​

वीर चक्र
यह सम्मान भी भारत का युद्ध के समय वीरता का पदक है। यह सम्मान सैनिकों को असाधारण वीरता या बलिदान के लिए दिया जाता है। यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है। वरीयता में यह महावीर चक्र के बाद आता है। अब तक 1331 बहादुरों को वीर चक्र दिया जा चुका है। चक्राकार पदक का व्यास 3/8 इंच और दोनों तरफ रिम होंगे। मेडल पर सोना चढ़ा होगा। मेडल के मुख पर कमल की माला से घिरे हुए मध्य भाग में अशोक च​​क्र की प्रतिकृति का उत्कीर्ण होगा। रिम के किनारे पर अंदर की ओर कमल की पत्तियां, पुष्प और कलियों का पैटर्न होगा। इसके पिछले भाग में दो कमल पुष्पों द्वारा पृथक हो रहे दो रूपांतरों के साथ हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में ‘अशोक चक्र​​’​ ​शब्द उभरा हुआ होगा। इस पदक का रिबन आधा सफेद और आधा नारंगी रंग का होगा।​​