- फसल किस्मों की जिलावार मैपिंग की आवश्यकता
- बीएयू में 17वीं बीज परिषद् की बैठक का आयोजन
रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की बीज परिषद् की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ ओंकार सिंह ने प्रदेश के सीड चैन व्यवस्था में बीएयू द्वारा विकसित किस्मों का अधिकाधिक समावेश पर जोर दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा विकसित फसल किस्मों की गुणवत्ता का प्रचार-प्रसार, तीन क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के साथ सभी 24 कृषि विज्ञान केंद्रों में फसल कैफेटेरिया स्थापित करने का निर्देश दिया। बिरसा बीज योजना माध्यम से बीजोत्पादन द्वारा प्रदेश के गरीब किसानों को न्यूनतम मूल्य पर फसल बीज देने की बात कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मौसम में बदलाव को देखते हुए किसान हित में राज्य सरकार को हर वर्ष नियमित रूप से अग्रिम आकस्मिक फसल योजना पर रणनीति बनाने की जरूरत है।
इस परिषद् के एक्सपर्ट एवं पूर्व आईसीएआर उपमहानिदेशक (बीज) डॉ जेएस चौहान ने विश्वविद्यालय वैज्ञानिकों को फसल किस्मों की तकनीकी एवं किस्मों की मांग को बढ़ावा देने का प्रयास करने, फसल किस्मों का आनुवंशिक उन्नयन तथा बीजोत्पादन कार्यक्रम में प्रदेश के लिए उपयुक्त उच्च पोषण वाली बायोफोर्टीफाइड फसल किस्मों को शामिल करने का सुझाव दिया। प्रदेश में सिंचाई के आभाव को देखते हुए बीजोत्पादन कार्यक्रम में माइक्रो इरीगेशन को बढ़ावा और उच्च नकदी एवं तेलहनी फसलों को प्रोत्साहित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय बीज बाजार व्यवस्था का विश्व में पांचवा स्थान है। देश में करीब 600 छोटी एवं बड़ी कंपनी बीज उत्पादन व्यवसाय से जुड़ी है। देश का सीड चैन काफी सुदृढ़ है।
मौके पर निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र डॉ आरपी सिंह ने वर्ष 2019-20 का प्रतिवेदन पेश किया। उन्होंने बताया कि निदेशालय, गौरियाकरमा प्रक्षेत्र, केवीके एवं जेडआरएस द्वारा खरीफ 2019 में 9 फसलों की 27 किस्मों की 96.15 क्विंटल प्रजनक बीज, 15 फसलों की 34 किस्मों के 2041 क्विंटल आधार बीज और 8 किस्मों की 90 क्विंटल सत्यापित बीज का उत्पादन किया गया। एनएफएसएम के पांच सीड हब के तहत दलहनी फसलों के 1831 क्विंटल आधार बीज का उत्पादन किया गया। रबी, 2019 में 5 फसलों की 9 किस्मों का 17.45 क्विंटल प्रजनक बीज, 8 फसलों की 27 किस्मों का 658 क्विंटल आधार बीज और 4 किस्मों की 88 क्विंटल सत्यापित बीज का उत्पादन किया गया। बीजोत्पादन में विभिन्न फसलों की 29 नये किस्मों का समावेश किया गया। प्रदेश को करीब 35.67 लाख हेक्टेयर भूमि में खरीफ एवं रबी फसलों की खेती के लिए करीब 16.66 लाख क्विंटल सत्यापित, प्रमाणित बीज की आवश्यकता है।
मौके पर झारखंढ बीज ग्राम एसोसिएशन के नवीन कुमार, झारखंड राज्य बीज एवं कृषि विकास समिति के एसी दास, नेशनल सीड कारपोरेशन के सुरेंद्र कुमार एवं कृषि निदेशक प्रतिनिधि संतोष कुमार ने प्रदेश में बीजोत्पादन की स्थिति, समस्या एवं संभावनाओं पर विचारों को रखा।
डायरेक्टर ऑफ रिसर्च डॉ अब्दुल वदूद ने झारखंड जैसे छोटे राज्य में राज्य सरकार, विश्वविद्यालय, स्वंयसेवी संगठन एवं बीज ग्राम के संयुक्त सामंजस्य एवं समन्वय से स्टेट सीड चैन को सुदृढ़ एवं क्रियाशील करने की आवश्यकता बताई। डायरेक्टर एक्सटेंशन एजुकेशन डॉ जगरनाथ उरांव ने बीजोत्पादन में कृषि विज्ञान केंद्रों के योगदानों पर चर्चा की। सरकार द्वारा बीज उत्पादन कार्यक्रम में संसाधन उपलब्ध कराये जाने पर जोर दिया। तकनीकी सत्र में डॉ सुप्रिया सिंह ने 16 वीं बीज परिषद् की बैठक का कार्यान्वयन प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। बैठक में 24 जिलों के कृषि विज्ञान केंद्रों, 3 क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्रों और विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने भाग लिया। संचालन श्रीमती शशि सिंह और धन्यवाद डॉ रवि कुमार ने किया।