सब्‍जी की कीमत हुई कम, क‍िचन का घटा खर्च

झारखंड बिज़नेस मुख्य समाचार
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रांची। प्याज की झांस कम हो गई है। सब्जी ने भी राहत दी है। इसकी कीमत में गिरावट दर्ज की जा रही है। एक महीने के अंतराल में कीमत घटकर करीब आधी रह गई है। इसकी वजह सब्जियों का बाजार में आवक अधिक होना बताया जा रहा है। सब्‍जी की कीमत में कमी आने की वजह से लोगों के एक महीने में किचन का खर्च घटकर लगभग आधा हो गया है।

थाली से गायब था आलू-प्याज

एक महीने पहले आलू और प्याज की कीमत वर्तमान से करीब दोगुना थी। आलू 40 से 45 रुपये किलो बिक रहा था। इसी तरह प्याज की कीमत 70 रुपये किलो से अधिक थी। अब सफेद आलू 20 रुपये किलोग्राम बिक रहा है। इसी तरह लाल आलू (नया आलू) 25 रुपये किलोग्राम है। कीमत में कमी आने से ये दोनों आम लोगों की थाली में भी नजर आने लगा है।

सब्जी की कीमत भी थी अधिक

एक महीने पहले सब्जी की कीमत भी आसमान छू रही थी। औसतन सब्जी की कीमत 40 से 70 रुपये प्रति किलोग्राम तक थी। इससे लोग परेशान थे। अब औसतन सब्जी की कीमत 10 से 20 रुपये किलोग्राम तक हो गई है।

महज दस दिन मे 20 रुपये घटा दाम

महज दस दिनों में सब्जियों की कीमत में करीब 20 रुपये प्रतिकिलो तक की कमी आई है। कीमत में कमी आने से आम लोगों की जेब पर बोझ कम हुआ है। हालांकि किसान परेशान हैं। उनका कहना है कि इससे उन्हें घाटा हो रहा है। खेतों में टमाटर की फसल तैयार है। हालांकि बाजार में दाम काफी कम मिल रहा है। अब उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें।

नई फसल आने से दाम घटे

सब्जी की नई फसल आने से दाम में गिरावट दर्ज की गई है। किसानों की मानें तो 14 दिसंबर के बाद से सब्जियों के दाम में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। लोकल माल निकलने से सब्जियों के दाम कम हुए हैं। किसानों का कहना है कि अगर यहां से माल दूसरी मंडी में भेजने की सुविधा होती तो रेट कुछ ज्यादा मिल सकते हैं।

क्यों बढ़ती है सब्जी की कीमत

आम तौर पर बरसात के दिनों में सब्जी की कीमत में बढ़ोतरी देखी जाती है। किसानों का कहना है कि अधिक बारिश होने से नीचे खेत में अगली सब्जी की फसलों को नुकसान होता है। इससे बाजार में सब्जियों की आवक घट जाती है। आवक घटने से मांग बढ़ती और कीमत में इजाफा होता है।

इन किसानों को होता है लाभ

सब्जियों के दाम में उतार चढ़ाव के बीच उन किसानों को फायदा हुआ, जिन्होंने अगात सब्जियों की खेती की होती है। अगात फसल लगाने से उत्पाद पहले ही बाजार में आ जाते हैं। उस वक्त सब्जियां महंगी होती है। ऐसे में उत्पाद के बेहतर पैसे मिल जाते हैं। हालांकि अगात खेती में खर्च ज्यादा होने की वजह से काफी कम किसान ही इसकी खेती करते हैं।

तीन से पांच रुपये का अंतर

शहर के विभिन्न इलाकों में लगने वाले स्थानीय बाजार में सब्जियों की कीमत में आम तौर पर तीन से पांच रुपये प्रति किलोग्राम का अंतर दर्ज किया जाता है। सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि इसकी वजह भाड़ा है। सब्‍ज‍ियों को लाने में अतिरिक्त भाड़ा देना पड़ता है। इसके कारण कीमत में कुछ वृद्धि दर्ज की जाती है।

सब्जी की कीमत

आलू 20 से 25
प्याज 35
फूलगोभी 20
बंधागोभी 20
बैगन 20
मूली 10
गाजर 20
कद्दू 30
टमाटर 20
हरा मिर्च 60
शिमला मिर्च 40
पालक 20
फ्रेंचबीन 30
मटर 35
भिंडी 40
अदरख 40

(नोट : कीमत प्रति किलोग्राम और नागाबाबा खटाल सब्जी बाजार की है)