नई दिल्ली। टाटा स्टील को फिक्की इंडिया स्पोर्ट्स अवार्ड्स 2020 में सीएसआर के माध्यम से खेलों में सर्वश्रेष्ठ योगदान देने वाले संस्थान के रूप में सम्मानित किया गया। 8 दिसंबर को 10वें ग्लोबल स्पोर्ट्स समिट ‘टीयूआरएफ (टर्फ)-2020’ के दौरान वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर इंडिया स्पोर्ट्स अवार्ड्स आयाजित किया गया था। चाणक्य चौधरी (वाईस प्रेसिडेंट, कॉर्पोरेट सर्विसेज) ने कंपनी की ओर से पुरस्कार प्राप्त किया।
खेल टाटा स्टील के राष्ट्र निर्माण के दर्शन का अभिन्न अंग रहा है। यह कंपनी के पहले चेयरमैन सर दोराबजी टाटा द्वारा शुरू की गई एक परंपरा थी, जिन्होंने 1920 में एंटवर्प, बेल्जियम ओलंपिक में भारत की पहली ओलंपिक टीम को वित्तपोषित किया। भारत में टाटा स्टील अपने अथक प्रयासों के माध्यम से पेशेवर, शौकिया खिलाड़ियों और अपने कर्मचारियों को निरंतर बढ़ावा देकर खेल और उत्कृष्टता के कॉर्पोरेट प्रोत्साहन का नेतृत्व कर रही है।
पुरस्कार पर चाणक्य चौधरी ने कहा कि टाटा स्टील में खेल ’जीवन जीने का एक तरीका’ है। खेल के साथ टाटा स्टील का जुड़ाव लगभग एक सदी पुराना है। यह इसकी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। टाटा स्टील जिन खेल गतिविधयों को सपोर्ट करती है, उनके मूल में हमेशा से स्थानीय समुदाय रहा है। एक ओर टाटा स्टील के व्यवसाय और समुदाय के बीच खेलों ने एक अद्वितीय कड़ी के रूप में काम किया है, दूसरी ओर कंपनी की संस्कृति और पहचान में इसकी भूमिका पहले से अधिक मजबूत हुई है। अपने खेल एकेडमियों और प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से टाटा स्टील ने वर्षों से भारत की कुछ प्रतिष्ठित खेल प्रतिभाओं को आकार देने में मदद की है। हम इंडिया स्पोर्ट्स अवार्ड्स से मिले इस सम्मान को पूरी विनम्रता से स्वीकार करते हैं और यह सम्मान खेलों एवं एथलीटों के विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की भी पुनः पुष्टि करता है।
छह साल पहले, टाटा स्टील ने 25 मिलोमीटर की दौड़ ‘कोलकाता 25के’ की शुरुआत की थी, जिसका सामाजिक कारण कोलकाता के एक कैंसर अस्पताल ‘टाटा मेडिकल सेंटर’ की मदद करना है। टाटा स्टील जमशेदपुर और नोआमुंडी (झारखंड) और भुवनेश्वर व आंगुल (ओडिशा) हर साल वार्षिक कार्यक्रमों का आयोजन करती है। इस वर्ष, महामारी को देखते हुए कंपनी ने अपना पहला वर्चुअल रन आयोजित किया।
टाटा स्टील ने 1927 में जमशेदपुर एथलेटिक क्लब की स्थापना कर कामकाजी पुरुषों, महिलाओं और उनके बच्चों के लिए खेल प्रतियोगिताओं की शुरुआत की थी। कंपनी ने 1984 में टाटा यूथ एडवेंचर सेंटर की स्थापना की थी, जिसे वर्तामान में टाटा स्टील एडवेंचर फ़ाउंडेशन के नाम से जाना जाता है। तीन साल बाद 1987 में कंपनी ने टाटा फ़ुटबॉल एकेडमी की शुरुआत की, जिसके बाद 1996 में टाटा आर्चरी एकेडमी की स्थापना की गई। जब टाटा स्टील ने 2004 में टाटा एथलेटिक्स एकेडमी का अनावरण किया, तब भारतीय एथलेटिक्स को एक गति मिली।
2017 में जमशेदपुर फुटबॉल क्लब (जेएफसी) की शुरूआत के साथ टाटा स्टील ने पहली बार स्पोर्ट्स के वाणिज्यिक पक्ष में कदम रखा, जो उभरती फुटबॉल प्रतिभा के लिए भारत के एक प्रमुख फुटबॉल लीग ‘आईएसएल’ में खेल रहा है। इसी वर्ष नवल टाटा हॉकी एकेडमी का उदय हुआ। इन एकेडमियों के अलावा, टाटा स्टील ने तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, मुक्केबाजी, क्रिकेट, शतरंज, फुटबॉल, गोल्फ, हैंडबॉल, हॉर्स राइडिंग, कराटे, कबड्डी, रोल बॉल, तैराकी, टेबल टेनिस, टेनिस और वॉलीबॉल सहित 18 खेल विषयों के लिए प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित किए हैं।
टाटा स्टील अनुभवी और योग्य प्रशिक्षकों और सहायक कर्मचारियों के माध्यम से विश्व स्तरीय अवसंरचना सहायता और प्रशिक्षण प्रदान कर देश के समग्र खेल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए मूल्य जोड़ रही है। वर्षों से टाटा स्टील के प्रयासों से ऐसे एथलीटों का निर्माण हुआ है, जिन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया है। अब तक टाटा स्टील ने 1 पद्म भूषण, 11 पद्म श्री, 1 खेल रत्न, 1 ध्यान चंद, 6 द्रोणाचार्य और 42 अर्जुन पुरस्कार प्राप्त किए हैं। कंपनी सभी के लिए बेहतर भविष्य के निर्माण में विश्वास करती है, और यह खेल के माध्यम से इसे जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है।