बारात में शराब पर पाबंदी लगाने की वकालत की कुरमी विकास परिषद ने

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विवाह में खर्च बचाने के लिये एक दिन की शादी को प्राथमिकता

रांची। झारखंड कुरमी विकास परिषद की केंद्रीय कमेटी की बैठक रंधीर कुमार चौधरी की अध्यक्षता में 27 दिसंबर को हुई। इसमें गत 25 दिसंबर, 2020 को हुए 47वें वार्षिक मिलन समारोह की समीक्षा की गई। मुख्य अतिथि के रूप में रांची के पूर्व सांसद सह कुरमी विकास परिषद के संरक्षक रामटहल चौधरी मौजूद थे।

इस अवसर पर श्री चौधरी ने कहा कि झारखंड कुरमी विकास परिषद के बैनर तले पूरे राज्य में कुरमी समाज के लोगों को हक और अधिकार के बारे में जागरूक करने का कार्य किया जायेगा। बेरोजगार युवाओं को स्की ल बनाकर वैकल्पिक व्यवसाय अपनाने के लिये प्रेरित किया जायेगा। उन्होंने समाज में फैली कुरीति‍यों को जड़ से निकालने के लिए सामाजिक आंदोलन पर भी जोर देने की बात कही।

बैठक में डॉ रूद्रनारायण महतो, डॉ पारसनाथ महतो, मनेश महतो, राजेंद्र महतो, नेपाल महतो, भुवनेश्वर महतो, सुरेश प्रसाद, संजय कुमार महतो, जितेन्द्र महतो, विकास महतो, पार्वती महतो, बीणा महतो, अखिलेश कुमार, रामेश्वर महतो, सुनील कुमार महतो, संजय कुमार महतो, कैलाश महतो आदि उपस्थित थे। वार्षिक मिलन समारोह में लिये गए सभी प्रस्तावों एवं सुझावों पर अमल करने का निर्णय लिया गया।

ये प्रस्ताव और सुझाव पारित

समाज की बालिका शिक्षा पर जोर दिया गया। सबके लिये तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने पर बल दिया गया।

समाज के संस्कार गत कार्यक्रमों में हो रही फिजूलखर्ची को कम करने का निर्णय लिया गया। विशेषकर मरखी, शादी विवाह, मुंडन आदि कार्यक्रमों में। मरखी में शमशान घाट में कपड़ा देने की प्रथा पूर्णरूपेन बंद हो, दाह संस्कार, तीनकर्म, दसवीं, ग्यारहवीं एवं बारहवीं में कपड़ा देना एवं मांस देना बंद किया जाय। विवाह में खर्च बचाने के लिये एक ही दिन में शादी को प्राथमिकता दी जाय। बारातियों की संख्या यथासंभव कम से कम की जाय। बारात में मंदिरा पान पूर्णतः बंद किया जाय। सामाजिक परंपरानुसार ही लड़का-लड़की का योग कराकर कुरमियों की परंपरागत विवाह विधान में ही शादी विवाह की जाय। बिना लेनदेन अथवा दहेज रहित शादि विवाह सुनिश्चित की जाय।

कुरमी अपनी जमीन की बिक्री करना बंद करें।

वैज्ञानिक खेती, जैविक खेती को प्रोत्साहन दी जाय। नकदी फसल को बढ़ावा दिया जाय।

वैकलिपक व्यवसाय अपनाने के प्रेरित किया जाय। लघु उद्योग जैसे – ईंट निर्माण, होटल, फर्नीचर आदि तथा गोपालन, मतस्य पालन, कुकुट पालन आदि।

झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा तमिलनाडु की तर्ज पर अति पिछड़े एवं पिछड़े वर्ग के लिये 35-50 प्रतिशत की आरक्षण की अनुशंसा की गयी है, उसे यथाशीघ्र लागू किया जाय।