आदिवासी और अन्य उद्यमों के बनाए फूड प्रोडक्ट्स की ‘ट्रायफूड’ के तहत होगी ब्रांडिंग

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  • एमओयू से आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि से पूरे देश को सबल बनाने का महत्वपूर्ण अवसर : अर्जुन मुंडा

नयी दिल्ली। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने जनजातीय मामले मंत्रालय, जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ लिमिटेड (ट्राइफेड), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम (एनएसएफडीसी), राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड (नेफेड) और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के साथ पांच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने जनजातीय कार्य मंत्रालय के साथ एक संयुक्त पत्र भी हस्ताक्षर किया।

एमओयू हस्ताक्षर करने के मौके पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत, जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रामेश्वर तेली उपस्थित थे।

इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि इन एमओयू के माध्यम से सरकार की प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने, जीवन स्तर में बदलाव लाने और सरकार की योजनाओं के माध्यम से हितग्राहियों का जीवन संवारने में मदद मिलेगी। उन्‍होंने कहा कि आम गरीब आदमी तक लाभ पहुंचाने के लिए फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय ने सभी विभागों से समन्वय बनाने की कोशिश की है। पीएमएफएमई स्कीम में 10 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि सभी संस्थाएं एमओयू के माध्यम से बेहतर काम करेगी। लोगों को प्रशिक्षण मिलेगा। वे उत्पादन के लिए आगे आ सकेंगे। ‘वोकल फॉर लोकल’ के प्रति जागरुकता बढ़ रही है। इस दिशा में आज की पहल स्वागतयोग्य है।

जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि इन एमओयू से आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि से पूरे देश को सबल बनाने का महत्वपूर्ण अवसर है। इनके माध्यम से लिंक बनने से विभिन्न क्षेत्रों में लोगों को लाभ पहुंचेगा। जनजातीय कार्य मंत्रालय के संयुक्त पत्र से लघु वनोपज सहित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में जनजातीय उद्यमों व समूहों की पहचान में आसानी होगी। यह ट्राइफूड उत्पादों जैसे जनजातीय इंडिया, आड़ी महोत्सव, जनजातीय मेलों और अन्य ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों जैसे उपलब्ध मार्केटिंग चैनलों के माध्यम से मददगार होगा। साथ ही पीएमएफएमई योजना के तहत लाभांवित किए जाने वाले चिन्हित लाभार्थियों की हैंड होल्डिंग व समर्थन करने के लिए राज्य, जिला व फील्ड के कर्मचारियों की क्षमता बढ़ाएगा।

ट्राइफेड के साथ एमओयू स्कीम से जुड़े आदिवासियों और अन्य उद्यमों द्वारा बनाए फूड प्रोडक्ट्स के लिए ब्रांड ‘ट्रायफूड’ के तहत ब्रांडिंग की सुविधा प्रदान करेगा। साथ ही, फूड प्रोडक्ट्स के लिए ब्रांडिंग, मार्केटिंग, अच्छी पैकेजिंग आदि का विकास भी हो सकेगा।

आईसीएआर के साथ एमओयू से विभिन्न संस्थानों, विशेषकर फसल-विशिष्ट संस्थानों में विकसित खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों, पैकेजिंग व मशीनरी के विवरण साझा करने की सुविधा होगी, जो सूक्ष्म उद्यमों/एफपीओ/एसएचजी/सहकारिता के लिए उपयुक्त है, ताकि प्रक्रियाओं/उत्पादों को प्राथमिकता के रूप में सुदृढ़ किया जा सके। आईसीएआर के संस्थान पीएमएफएमई योजना के अंतर्गत क्षमता निर्माण प्रयास का समर्थन करने के लिए डीपीआर, पठन सामग्री, श्रव्य-दृश्य प्रशिक्षण सामग्री और विशिष्ट उत्पादों/प्रक्रियाओं से संबंधित फिल्में तैयार करने में मदद करेंगे।

एनएसएफडीसी के साथ उनके चैनल भागीदारों और अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों के माध्यम से एमओयू द्वारा क्षमता निर्माण, अनुसंधान, प्रशिक्षण तथा एससी उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों एवंफूड प्रोसेसिंग में शामिल अन्य समूहों का विकास हो सकेगा। नेफेड के साथ एमओयू से एफपीओ/एसएचजी/को-ऑपरेटिव समूहों द्वारा बनाए कृषि खाद्य उत्पादों के विपणन व विकास से ‘नेफेड फूड’उत्पाद के लिए एक नए ब्रांड के विकास में आसानी होगी।

एनसीडीसी के साथ एमओयू, राज्यों में फूड प्रोसेसिंग में जुटी सहकारी समितियों और इनके सदस्यों को परियोजनाओं की तैयारी और उनकी विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट में सहायक होगा।

एक नोडल बैंक के रूप में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया केंद्र और राज्य सरकार से प्राप्त सब्सिडी राशि को ऋण बैंक खाते में हस्तांतरित करने में सुविधा प्रदान करेगा।

पीएमएफएमई योजना-आत्मनिर्भर भारत अभियान में प्रारंभ पीएमएफएमई केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रोत्सहित करना व क्षेत्र के औपचारिकता को बढ़ाना तथा एफपीओ, स्वयं सहायता समूहों और उत्पादक सहकारी समितियों को उनकी संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के साथ सहायता प्रदान करना है। वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक 10,000 करोड़ रुपये के खर्च के साथ इस योजना में मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करने के लिए 2,00,000 सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण यूनिटों को सीधे सहायता देने की परिकल्पना की गई है।

कार्यक्रम में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की सचिव पुष्पा सुब्रह्मण्यम, जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव दीपक खांडेकर, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव मनोज जोशी, आईसीएआर के महानिदेशक  त्रिलोचन महापात्र, एनएसएफडीसी के मुख्य प्रबंध निदेशक एसके नारायण, एनसीडीसी के कार्यकारी निदेशक एसकेटी चन्नेशप्पा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के महाप्रबंधक विनोद कुमार पटनायक व ट्राइफेड के उप महाप्रबंधक अमित भटनागर उपस्थित थे।