नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अगले 5 वर्षों में 4 करोड़ से अधिक अनुसूचित जाति (एससी) के छात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए “अनुसूचित जाति से संबंधित छात्रों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति (पीएमएस-एससी)” की मंजूरी दी है। इसके लिए 59,048 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। इसमें से केंद्र सरकार 35,534 करोड़ रुपये (60 प्रतिशत) खर्च करेगी और शेष राशि राज्य सरकारों द्वारा खर्च की जाएगी। यह स्कीम मौजूदा “प्रतिबद्ध देयता” प्रणाली को प्रतिस्थापित करेगी। इस स्कीम में केंद्र सरकार की भागीदारी अधिक होगी।
इस योजना से अनुसूचित जाति के छात्रों को कक्षा 11वीं से शुरू होने वाले मैट्रिक के बाद के किसी भी पाठ्यक्रम को जारी रखने में मदद मिली है। इस योजना में सरकार शिक्षा की लागत का वहन करती है। केंद्र सरकार इन प्रयासों को और अधिक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि 5 वर्ष की अवधि के भीतर अनुसूचित जातियों का जीईआर (उच्चतर शिक्षा) राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच सके।
यह योजना गरीब-से-गरीब छात्रों को नामित करने, समय पर भुगतान करने, व्यापक जवाबदेही, निरंतर निगरानी और पूर्ण पारदर्शिता पर जोर देती है।
गरीब-से-गरीब परिवारों के 10वीं कक्षा उत्तीर्ण छात्रों को अपनी इच्छानुसार उच्चतर शिक्षा पाठ्यक्रमों में नामित करने के लिए एक अभियान चलाया जाएगा। अनुमान है कि 1.36 करोड़ ऐसे सबसे गरीब छात्र, जो वर्तमान में 10वीं कक्षा के बाद अपनी शिक्षा को जारी नहीं रख सकते हैं, उन्हें अगले पांच वर्षों में उच्चतर शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत लाया जाएगा।
यह स्कीम सुदृढ़ सुरक्षा उपायों के साथ ऑनलाइन प्लेटफार्म पर संचालित की जाएगी, जिससे पारदर्शिता, जवाबदेही, कार्य क्षमता, तथा बिना विलंब के समयबद्ध सहायता सुनिश्चित होगी।
राज्य पात्रता, जातिगत स्थिति, आधार पहचान तथा बैंक खाता के ब्यौरे की ऑनलाइन पोर्टल पर जांच करेंगे।
इस स्कीम के अंतर्गत छात्रों को वित्तीय सहायता डीबीटी मोड के माध्यम से और अधिमान्यता आधार सक्षम भुगतान प्रणाली को प्रयोग में लाकर किया जाएगा। वर्ष 2021-22 से प्रारंभ करते हुए इस स्कीम में केंद्र का अंश (60 प्रतिशत) निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार छात्रों के बैंक खातों में डीबीटी मोड के माध्यम में सीधे जारी किया जाएगा।
निगरानी तंत्र को और सुदृढ़ किया जाएगा और सोशल ऑडिट, तीसरे पक्ष द्वारा वार्षिक मूल्यांकन कराकर और प्रत्येक संस्थान की अर्ध-वार्षिक स्वतः लेखा परीक्षित रिपोर्टों के माध्यम से किया जाएगा।
केंद्रीय सहायता वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 के दौरान लगभग 1100 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष थी, उसे वर्ष 2020-21 से 2025-26 के दौरान 5 गुना से अधिक बढ़ाकर लगभग 6,000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष किया जाएगा।