टाटा ट्रस्ट्स ने शुरू किया अपना नया अभियान ‘कैसे का कैंसर’

मुंबई देश सेहत
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  • इस अभियान के तहत दिखाई जाएगी तीन फिल्में

मुंबई। टाटा ट्रस्ट ने विश्व कैंसर दिवस पर ‘क्‍लोज द केयर गैप’ मूवमेंट का समर्थन करते हुए अपना नवीनतम अभियान ‘कैसे का कैंसर’ शुरू किया है। यह अभियान कैंसर की पहचान के बाद रोगियों और उनकी देखभाल करने वाले लोगों की अनिश्चितता की भावना पर जोर देता है। यह अभियान चार प्रमुख स्तंभों (जागरुकता, बेहतर इलाज तक पहुंच, गुणवत्तापूर्ण देखभाल और किफायती इलाज) को लेकर जागरुकता बढ़ाता है, जोकि भारत में कैंसर रोगियों के बढ़ते बोझ की समस्या दूर कर सकते हैं।

फिल्‍मों के ये भाव

पहली फिल्म दर्शकों को कैंसर रोगियों की जिंदगी के भावनात्मक सफर पर लेकर जाती है। यह फिल्म ये दिखती है कि कैसे जांच के बाद इलाज के लिए पैसे के प्रबंध और परिवार के भविष्य की चिंता उन्हें कैंसर से भी ज़्यादा परेशान कर देती है। इस फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि टाटा ट्रस्ट्स के कैंसर केयर प्रोग्राम के चार स्तंभ इस स्थिति में उन्हें कैसे राहत दे सकते है।

इस अभियान की अगली फिल्म में इस अनिश्चितता से उपजे तनाव को दिखाया गया है। इसके साथ ही फिल्म में टाटा ट्रस्ट्स द्वारा समर्थित अस्पतालों द्वारा पूरे परिवार को दी जाने वाली उम्‍मीद की किरण को भी दर्शाया गया है।

तीसरी फिल्म मरीजों को कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करने की जरूरत के बारे में बताती है। इनमें निगलने में कठिनाई, गांठ, मुंह के छाले और योनि से होने वाला असामान्य स्राव, आदि हैं।

यह फिल्म कैंसर के रोगियों को जांच और परीक्षण के बारे में भी बताती है, जो भारत के लिए अनिवार्य है। यहां पहले से ही उच्च रोग का बोझ देरी से पता चलने के कारण बढ़ गया है।

कैंसर रोगियों की देखभाल

टाटा ट्रस्ट्स में कैंसर केयर प्रोग्राम के चीफ एक्जिक्यूटव डॉ संजीव चोपड़ा ने कहा, ‘टाटा ट्रस्ट्स हमेशा से कैंसर रोगियों की बेहतर देखभाल के प्रयासों के लिए प्रतिबद्ध रहा है। 2017 में अपने संपूर्ण कैंसर केयर प्रोग्राम की शुरुआत के साथ हमने अपने सहयोग को और मजबूती दी है। हम देशभर में कैंसर की बेहतर केयर का एक वितरित मॉडल बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य कैंसर रोगियों की जांच तक पहुंच को आसान बनाना, उन्‍हें एकसमान गुणवत्तापूर्ण देखभाल एवं किफायती इलाज एवं पैलिएटिव केयर प्रदान करना है। कैंसर के रोगियों और उनके परिवारों के सफर को दर्शा कर ‘कैसे का कैंसर’ कैंपेन उपलब्ध संसाधनों के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाने में हमारी मदद कर रहा है। इसके साथ ही यह अभियान कैंसर की नियमित जांच के महत्व को दर्शाता है। यह सभी कारक हमारे प्रमुख कार्यक्षेत्र है। हम देश भर में कैंसर मरीजों को संपूर्ण देखभाल प्रदान करने के विजन के प्रति समर्पित हैं। हम अपने प्रोग्राम को इस प्रकार आकर देंगे जिससे इस मुश्किल समय में कैंसर के रोगियों और उनके परिवार की तकलीफ कम करने में मदद मिल सके।‘

कैंसर रोगी 15 लाख

आज, भारत में कैंसर के ज्ञात रोगियों की संख्या 15 लाख है। हालांकि मरीजों की वास्तविक संख्या इससे डेढ़ से तीन गुना ज्यादा है। जहां दुनिया भर में 30 फीसदी कैंसर के मरीजों को देर से कैंसर की जांच कराने के कारण अपनी जिंदगी गंवानी पड़ती है। कैंसर की जल्दी जांच कराने के प्रति जागरूक होने के कारण 70 फीसदी मरीजों की जान बच जाती है। भारत में 30:70 का अनुपात उलट गया है। यहां 70 फीसदी मरीजों की जागरूकता में कमी के चलते देर से कैंसर की जांच कराने और जांच सुविधाओं तक कठिन पहुंच के कारण मौत हो जाती है।

1941 से काम कर रहा

टाटा ट्रस्ट्स 1941 से भारत पर कैंसर रोगियों के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए काम कर रहा है। संस्था का नया अभियान ‘कैसे का कैंसर’ भारत में कैंसर के रोगियों के देखभाल की प्रणाली को बदलने और मरीजों और उनके परिजनों की जिंदगी को बेहतर बनाने की दिशा में एक आवश्यक कदम है।

यहां जांच अभियान

रांची (झारखंड)

तिरुपति (आंध्रप्रदेश)

चंद्रपुर महाराष्ट्र

बारपेटा, दर्रांग, डिब्रूगढ़, जोरहाट, कोकराझार, लखीमपुर, तेजपुर (असम) कटक (ओडिशा)