उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आवारा पशुओं के उत्थान के लिए लगातार कई योजनाओं पर काम कर रही है, जिनमें से आश्रय स्थल निर्माण भी एक है।
अधिकारियों की अनदेखी के चलते आश्रय स्थलों पर बेजुबान जानवरों की चारा पानी और इलाज के अभाव में मौत की कहानियां आपने पढ़ी होंगी, लेकिन भदोही जिले में एक प्रधान ने इस कहानी को अपने प्रयासों से उलट दिया है।
भदोही के रमईपुर गांव के प्रधान महेंद्र कुमार सिंह ने अपनी लगन और मेहनत से गांव के आश्रय स्थल की तस्वीर बदल दी है। आज यहां बेसहारा गोवंशियों की संख्या 175 हो गई है। अच्छी देखभाल, चारा और भोजन मिलने से ये गोवंश इतने स्वस्थ हो चुके हैं कि ग्रामीण इन्हें ‘गोद’ लेकर अपने घर ले जा रहे हैं।
साल 2021 में महेंद्र प्रधान बने तो उन्हें बदहाल पशु आश्रय स्थल और 67 बीमार गोवंशी मिले। बजट की तंगी के कारण उन्होंने आश्रय स्थल में अपनी जेब से पैसा लगाने का फैसला किया। भूसा के अलावा हरे चारे के लिए अपने खेत में चरी बोआई। खली-चूनी पर महीना आठ से दस हजार रुपये तक खर्च किया।
इसके अलावा तीन घंटे गांव के बाहरी क्षेत्र में इन पशुओं को चरने को छोड़ते। उनकी मेहनत का रंग जल्द दिखने लगा। स्वस्थ गोवंशियों को देखकर ग्रामीणों इन्हें पालने में रुचि दिखाई। अबतक पशु पालन विभाग से लिखा- पढ़ी के बाद ग्रामीण 35 गायों को अपने घर ले जा चुके हैं। महेंद्र उनके खातों में 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 900 रुपये प्रतिमाह महीना भेजते हैं।
जनवरी 2019 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पशु तस्करी, वध पर रोक लगाते हुए गोशाला बनवाने का निर्णय लिया। शुरुआत में यहां 34 गोवंश थे। वर्ष 2020 तक इनकी संख्या 67 हो गई। वर्ष 2021 में महेंद्र प्रधान बने, तो आसपास घूमने वाले बेसहारा गोवंशियों को यहां ले आए और धीरे-धीरे इनकी संख्या 175 हो गई।
यहां आठ बिस्वा में बने आश्रय स्थल के बीच में चरनी बनी है। इसमें लबालब पानी से भरी बड़ी-बड़ी हौदी और आठ शटरदार भूसा घर हैं। सीवान से लौटने के बाद गोवंश जैसे ही अपने घर पहुंचते हैं, चरनी की ओर दौड़ पड़ते हैं।
भीषण गर्मी के कारण स्थानीय पशुधन केंद्र का एक फार्मासिस्ट प्रतिदिन आकर गोवंशियों के स्वास्थ्य की जांच करता है। सभी का टीकाकरण हो चुका है। इनकी देखभाल के लिए छह लोग काम करते हैं।
हालांकि महेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार ने यह व्यवस्था दी है, तो केयरटेकर भी देना चाहिए। बड़े मंचों से वह इसकी मांग भी कर चुके हैं। महेंद्र प्रधान के पशुप्रेम को देखकर रमईपुर गांव समेत आस-पास के गांव के लोग भी उनके काम की सराहना करते हैं।