रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से 37 विद्यार्थियों को पहली बार बीटेक इन एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग की डिग्री मिली। बुंडू निवासी शुभम कुमार प्रमाणिक बैच के टॉपर बने। छह विद्यार्थियों ने आईआईटी, खड़गपुर के एमटेक कोर्स में नामांकन लिया। बीएयू के कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग के पहले बैच के परीक्षाफल का वितरण समारोह 19 जुलाई को आयोजित किया गया। भोपाल स्थित केंद्रीय कृषि अभियंत्रण संस्थान के निदेशक डॉ सीआर मेहता मुख्य अतिथि थे।
19 छात्राएं एवं 18 छात्र सफल
कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग के पहले बैच के बीटेक इन एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग का परिणाम सोमवार देर शाम बीएयू कुलसचिव डॉ नरेंद्र कुदादा ने जारी किया गया था। राज्य के इस एकमात्र कॉलेज के पहले बैच में 37 विद्यार्थी सफल घोषित किये गये। इनमें 19 छात्राएं एवं 18 छात्र शामिल है। सर्वाधिक 8.918 ओजीपीए/10.000 अंक पाकर शुभम कुमार प्रमाणिक बैच के टॉपर बने। 8.901 ओजीपीए अंक के साथ भुवनेश्वर महतो द्वितीय और 8.888 ओजीपीए अंक लाकर मेघा कुमारी ने तृतीय स्थान हासिल किया। कॉलेज के चार वर्षीय पाठ्यक्रम में इस वर्ष 11 छात्र एवं 12 छात्राएं शामिल है। 27 विद्यार्थियों ने 8.000 ओजीपीए/10.000 से अधिक अंक पाया है।
इनका आईआईटी में नामांकन
बुंडू निवासी शुभम कुमार प्रमाणिक और सिल्ली निवासी भुवनेश्वर महतो के अलावा अर्क राज, राहुल कुमार, आशीष कुमार एवं गुडिया कुमारी ने गेट स्कोर के आधार पर आईआईटी, खड़गपुर के एमटेक कोर्स में नामांकन कराया है। इन्हें 12, 400 मासिक फेलोशिप भी मिलेगी।
सरकारें फोकस कर रही है
डॉ मेहता ने कहा कि फसल उत्पादन एवं उत्पादकता पर दबाव काफी बढ़ता जा रहा है, जबकि कृषि गतिविधियों में कार्यबल हर वर्ष घटती जा रही है। देश में खेती योग्य भूमि भी सीमित है। ऐसे में कृषि अभियंत्रण क्षेत्र की उपयोगिता काफी बढ़ गई है। आईआईटी क्षेत्र भी कृषि अभियंत्रण की शैक्षणिक एवं शोध कार्यक्रमों को विशेष महत्व दे रहे हैं। केंद्र एवं राज्य सरकारें भी कृषि अभियंत्रण से जुड़ी योजनाओं को फोकस कर रही है। कृषि कार्यों में यंत्रीकरण, कृषि प्रसंस्करण, ड्रोन, माइक्रो इरीगेशन, नवीकरण उर्जा, सोलर उर्जा एवं ग्रीन हाइड्रोजन तकनीकी पर तेजी से विकास हो रहा। इससे कृषि अभियंत्रण में नियोजन एवं उद्यमिता के अवसर काफी बढे है।
आने वाले दिनों में व्यापक भूमिका
डॉ मेहता ने कहा कि आने वाले वर्षो के कृषि क्षेत्र में कृषि अभियंत्रण की बड़ी एवं व्यापक भूमिका होगी। विद्यार्थियों के लिए सरकारी, बैंकिंग एवं प्राइवेट सेवा और उद्योग में काफी अवसर हैं। उद्यमिता में भी संभावनाएं है। जरूरत है इस क्षेत्र में निरंतर सीखने, जानने एवं अबुभव के साथ बढ़िया कार्य करने की। विद्यार्थी मानक पुस्तकों से जुड़े रहे, तकनीकी विकास के ज्ञान को अद्यतन रखे। अपनी रुचि के विषयों पर विशेषज्ञता हासिल करें। मौके पर डॉ मेहता ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय अधीन संचालित कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग के पहले बैच से 37 विद्यार्थियों को बीटेक इन एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग का परीक्षा परिणाम प्रदान किया।
कोर्स में 40 सीटें स्वीकृत
मौके पर एसोसिएट डीन डीके रुसिया ने बताया कि राज्य के इस एकमात्र कॉलेज में चार वर्षीय बीटेक (एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग) की शुरुआत सत्र 2018-19 से हुई थी। कॉलेज के स्नातक कोर्स में सीटों की स्वीकृत संख्या 40 है। पहले बैच में 40 विद्यार्थियों ने नामांकन कराया था। इनमें 2 विद्यार्थी ड्राप आउट हुए और 37 विद्यार्थी सफल घोषित किये गये। वर्तमान में 44 छात्राओं एवं 66 छात्रों सहित 110 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इस वर्ष तृतीय एवं अंतिम वर्ष के 14 विद्यार्थी ग्रेजुएट एप्टीटुड टेस्ट इन इंजीनियरिंग टेस्ट (गेट) में सफल हुए थे। इनमें 6 विद्यार्थियों ने आईआईटी, खड़गपुर के एमटेक कोर्स में नामांकन लिया है। समारोह में शिक्षक डॉ उत्तम कुमार, डॉ मिंटू जॉब, डॉ अल्पना दुबे, डॉ छाया एवं डॉ गौरव साहू सहित कॉलेज के छठे एवं तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थी मौजूद थे।
कृषि को नई दिशा मिलेगी
बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने सभी सफल विद्यार्थियों को कॉलेज एवं राज्य का ब्रांड एम्बेसडर बताया। उन्हें उज्ज्वल भविष्य की शुभकामना एवं बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस प्रोफेशनल ग्रेजुएट से राज्य की भावी कृषि को नई दिशा मिलेगी।