नई दिल्ली। बढ़ती महंगाई से हलकान लोगों को राहत भरी खबर मिल सकती है। केंद्र सरकार खाने वाले तेल की कीमतों में कटौती के लिए उद्योग जगत की एक बैठक बुलाई थी।
इस बैठक में खाने वाले तेल की कीमतों को कम करने को लेकर चर्चा हुई। आने वाले दिनों में खाने वाले तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है।
पिछले महीने भी कुछ तेल कंपनियों ने सरसों और सूरजमुखी तेल के दामों में कटौती का एलान किया था। हालांकि, अभी तक कम हुई कीमतों का असर खुदरा रेट पर नहीं दिखाई दे रहा है।
इन दिनों ग्लोबल मार्केट में खाने वाले तेल के दामों गिरावट आई है। अब केंद्र सरकार की कोशिश है कि वैश्विक स्तर पर आई गिरावट का असर खुदरा कीमतों में भी दिखे। पिछले महीने ‘धारा’ ब्रांड के खाद्य तेल बेचने वाली सहकारी कंपनी मदर डेयरी और अडानी विल्मर ने कीमतों में कटौती करने का एलान किया था।
मदर डेयरी ने 15 रुपये प्रति लीटर और अडानी विल्मर ने 10 रुपये प्रति लीटर कटौती का ऐलान किया था।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने बताया कि पिछले महीने खाने वाले तेल के दाम 300-450 डॉलर प्रति टन तक घटे हैं। इस वजह से एक बार फिर से उम्मीद जताई जा रही है कि तेल बनाने वाली कंपनियां कीमतों में कटौती का एलान कर सकती हैं। कहा जा रहा है कि इस बार भी 10-15 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती संभव है।
ग्लोबल मार्केट में खाने के तेलों के गिरे रेट का असर घरेलू खुदरा मार्केट में फिलहाल नहीं देखने को मिल रहा है। खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने 22 जून को भी कहा था कि खुदरा बाजार में खाद्य तेलों के दाम नीचे आने लगे हैं।
केंद्र सरकार की कोशिश है कि गिरावट का फायदा सीधे ग्राहकों तक पहुंचे। सरकार और उद्योग जगत के बीच हुई बैठक के बाद जल्द ही तेल की कीमतों में कटौती के लिए निर्देश जारी हो सकता है।
यहां बता दें कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा पाम ऑयल इंपोर्ट करने वाला देश है। बीते कुछ हफ्तों में देश में सनफ्लावर ऑयल की सप्लाई रूस और अर्जेंटीना के देशों से बढ़ी है। भारक यूक्रेन और रूस से सूरजमुखी तेल खरीदता है। यूक्रेन से सूरजमुखी तेल का शिपमेंट फिलहाल बंद हो गया।
अब भारत रूस से अधिक आयात करने की कोशिश कर रहा है। भारत अपने खाने वाले तेल जरूरत का 60 फीसदी से ज्यादा आयात से ही पूरा करता है।