शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने गर्मी छुट्टी रद्द कर उपार्जित अवकाश दिए जाने की उठाई मांग

झारखंड शिक्षा
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  • कोर कमेटी की बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा, सरकार के संज्ञान में लाने का निर्णय

रांची। झारखंड प्रदेश शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने गर्मी की छुट्टी रद्द कर उपार्जित अवकाश दिए जाने की मांग की है। मोर्चा की कोर कमेटी की आपात बैठक 30 मई को अरगोड़ा स्थित श्री साईं राज निकेतन में हुई। इसमें राज्य की शिक्षा, छात्र एवं शिक्षक हित से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई। इन विषयों को सरकार के संज्ञान में लाते हुए ज्ञापन देने एवं विभागीय भेंटकर वार्ता करने का निर्णय लिया गया।

कमेटी के सदस्‍यों ने कहा कि कक्षा 1 से 7 की वार्षिक परीक्षा गर्मी छुट्टी के तुरंत बाद ली जा रही है। यह अव्यवहारिक और छात्रों को हतोत्साहित करने के समान है। परीक्षा स्कूल खुलने के कम से कम एक सप्ताह बाद ली जानी चाहिए। यह बच्चों के लिए ज्यादा अनुकूल एवं व्यवहारिक होगा।

सदस्‍यों ने कहा कि शिक्षकों को उनकी सेवा शर्तों के अनुकूल विश्रमावकाशी विभाग में घोषित की गई है। इसके अनुरूप शिक्षकों के उपार्जित अवकाश के दिनों से कटौती करते हुए गर्मी की छुट्टी दिए जाने का प्रावधान है। बावजूद इसके सरकार विगत वर्षों से शिक्षकों को गर्मी की छुट्टियों में कोई न कोई काम में प्रतिनियोजित करती आ रही है। ऐसे में शिक्षक ठगा महसूस कर रहे हैं। कहने को तो उनकी गर्मी छुट्टी है, परंतु पूरे अवकाश में उन्हें सरकरी कार्यों में लगाया जाता है। यह एक हाथ से देकर दूसरे हाथ से छीन लेने के समान है।

मोर्चा ने कहा कि इससे ज्यादा बेहतर होगा कि सरकार शिक्षकों की गर्मी की छुट्टी नहीं दे। राज्य के अन्य कर्मचारियों के समान 33 दिनों की उपार्जित अवकाश दि‍या जाए। सेवा शर्तों में बदलाव कर गैर विश्रमावकाशी विभाग में घोषित करते हुए सभी शिक्षकों को एमएसीपी का लाभ दे। समयबद्ध तरीके से प्रोन्नति दी जाए।

मोर्चा के मुताबिक अभी राज्य के लगभग 98% विद्यालय प्रधानाध्यापक विहीन है। हालांकि सरकार को इसकी तनिक भी चिंता नहीं है। सिर्फ कुछ एक एनजीओ के इशारे पर सरकार शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने की योजना को कार्यरूप देने के लिए दि‍न-ब-दिन राज्य के शिक्षा, छात्र एवं शिक्षक हित से कोषों दूर रहने वाले आदेश निकलवाने का काम कर रही है। मोर्चा ऐसे प्रतिकूल विभागीय आदेशों का छात्र हित में विरोध करता है।

सदस्‍यों ने कहा कि एमडीएम राशि की प्रतिपूर्ति का वितरण, यू डायस डाटा अपडेट, मुख्यमंत्री मेधा छात्रवृति आदि सारे कार्य गर्मी की छुट्टी में ही करने का दबाव बनाया जा रहा है। ऊपर से मात्र दो दिनों के अंदर कार्यसंपादित करने के लिए शिक्षकों पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है। ऐसा जानबूझकर गलती कराने की साजिश है, ताकि शिक्षकों का वेतन स्थगित किया जा सके।

मोर्चा के मुताबिक राज्य के शिक्षा विभाग के ही अन्य कर्मचारी एवं पदाधिकारी से लेकर तमाम विभागों में अभी भी बायोमीट्रिक उपस्थित बनाने की कोई बाध्यता नहीं है। बावजूद शिक्षकों के लिए बायोमीट्रिक उपस्थित बनाना बाध्यकारी करने संबंधी आदेश जारी करना  विभागीय मंशा को परिलक्षित करता है। शिक्षक कभी भी अपने कार्य एवं कर्तव्यों से भागते नहीं हैं। राज्य के अन्य विभागों का भी काम करते हैं। इसके बावजूद शिक्षकों के प्रति द्वेषपूर्ण व्यवहार करना विभाग की अकर्मण्यता से ज्यादा कुछ भी नहीं है।

सरकार प्रत्येक विद्यालयों में बायोमीट्रिक अटेंडेंस बनाने के लिए डिवाइस उपलब्ध कराएं, क्योंकि वर्तमान में उपलब्ध टैबलेट पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की आवाज एवं फोटोग्राफ का आना अव्यहारिक है। लगभग 99% विद्यालयों का टैबलेट बेकार हो चुके हैं। इसके बाद ही सरकार शिक्षकों को बायोमीट्रिक अटेंडेंस बनाने का आदेश जारी करे।

इसके अतरिक्त विद्यालय समय सारणी, वार्षिक शैक्षिक कैलेंडर एवं शैक्षिक पाठ्यक्रम  पुर्नरूपेण केंद्रीय विद्यालयों के तर्ज पर करना, रिक्त पड़े पदों पर शिक्षक नियुक्ति, शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं कराना आदि विभिन्न समस्याओं पर सरकार के समक्ष लाकर ज्ञापन के साथ वार्ता करने का निर्णय लिया गया है।

बैठक में मोर्चा के विजय बहादुर सिंह, अमीन अहमद, प्रेम प्रसाद राणा, शैलेंद्र कुमार सुमन, आशुतोष कुमार एवं अरुण कुमार दास उपस्थित थे।