यह दूसरा मौका होगा जब परेड के मार्चिंग दस्ते में विदेशी सैनिक भी होंगे शामिल
इससे पहले पहली बार 2016 में शामिल हुई थी फ्रांसीसी 130 सैनिकों की टुकड़ी
नई दिल्ली। इस बार गणतंत्र दिवस की परेड भले ही छोटी हो, लेकिन यह दूसरा मौका होगा जब मार्चिंग दस्ते में विदेशी सैनिक भी भारत की पारंपरिक परेड का हिस्सा बनेंगे। इस बार मार्चिंग टुकड़ी में 96 बांग्लादेशी सैनिक भी अपने हथियारों के साथ शामिल होंगे। इससे पहले 2016 में पहली बार विदेशी सेना के रूप में फ्रांसीसी 130 सैनिकों की टुकड़ी ने राजपथ पर मार्च पास्ट किया था।
बांग्लादेश की स्वर्ण जयंती पर भारत ने गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा लेने के लिए बांग्लादेशी दल को आमंत्रित किया था। इस पर मार्चिंग टुकड़ी में 96 सैनिक शामिल होंगे जो अपने साथ बीडी-08 राइफल्स और चीनी टाइप 817.62 एमएम के हथियार का लाइसेंस-निर्मित वैरिएंट साथ लिए होंगे। बांग्लादेश आयुध कारखानों में हर साल 10 हजार से अधिक ऐसी असॉल्ट राइफल का उत्पादन होता है। यह दूसरा मौका है जब राजपथ पर कोई विदेशी सेना गणतंत्र दिवस की परेड का हिस्सा बनेगी। इससे पहले 2016 में पहली बार 130 सैनिकों की टुकड़ी वाली एक फ्रांसीसी सेना ने राजपथ पर मार्च किया था। उस समय तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद मुख्य अतिथि के रूप में परेड के गवाह बने थे।
कोविड-19 महामारी के कारण गणतंत्र दिवस की परेड इस बार छोटी होगी और दर्शकों की सामान्य संख्या का केवल एक चौथाई हिस्सा शामिल होगा। इस बार सिर्फ 25 हजार पास ही जारी किए जा रहे हैं। परेड में शामिल होने वाले सभी सैनिक दस्ते, पुलिस अर्ध सैनिक बल के जवान मास्क लगाये दिखेंगे। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ-साथ सभी देशी-विदेशी मेहमान भी इसका पालन करेंगे। इसके अलावा प्रतिभागी के रूप में बच्चों को परेड में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई है और दर्शक के रूप में 15 साल से ज्यादा आयु के सौ छात्र और अन्य नागरिक शामिल हो सकेंगे। इतना ही नहीं सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से मार्चिंग दस्ते की बनावट इस बार आयताकार की जगह त्रिकोणीय होगी। एक दस्ते में 144 सैनिकों की बजाय सिर्फ 96 सैनिक शामिल होंगे। आम तौर पर एक दस्ते में 12 पंक्तियां और 12 कॉलम होते थे लेकिन इस बार 12 कॉलम में सिर्फ आठ पंक्तियां होंगी।