भारतीय परंपरा से हुआ सीयूजे का दीक्षांत समारोह, 28 विद्यार्थियों को मिला स्वर्ण पदक

झारखंड शिक्षा
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  • याज्ञवलक्य के साथ गार्गी भी दे रहीं भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने में योगदान : राज्‍यमंत्री

रांची। केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि विद्यार्थी जगत गुरु आदि शंकराचार्य की तरह ही तेजस्वी बनें। जगत में अपने ज्ञान का प्रकाश फैलाएं। विश्वविद्यालय में छात्रों के साथ ही छात्राएं भी बड़ी संख्या में अध्ययन कर रही हैं। यह दर्शाता है कि याज्ञवलक्य के साथ ही गार्गी भी भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे रही हैं। नई शिक्षा नीति 2020 लागू करने वाला झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय राज्‍य का पहला विश्वविद्यालय बन गया है। देश-विदेश में नाम करने वाली संस्थाओं की श्रृंखला में इसका नाम भी जुड़ गया है। वह 6 मई को झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्‍य अतिथि बोल रही थीं। समारोह का आयोजन चेरी-मनातू स्थित विश्वविद्यालय के स्थायी परिसर में किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्वलित और विश्वविद्यालय के कुलगीत से हुई। कुलपति प्रो क्षिति भूषण दास ने स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की उपलब्धि एवं भविष्य की योजनाओं की जानकारी दी। कुलपति ने घोषणा की कि विश्वविद्यालय द्वारा डॉ अंबेडकर सेंटर ऑफ एक्सिलेंस की भी शुरुआत की गयी है, जिसकी अध्यक्षता महिमा सेक्ट के कवि, दार्शनिक संत भीमा भोई करेंगे। उन्होंने हिन्दू धर्म में व्याप्त जाति व्यवस्था के खिलाफ अपनी आवाज मुखर की थी। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय में दो नए शोध केंद्र स्थापित किये गये हैं, जिसमें बिरसा मुंडा सेंटर ऑफ इंडिजिनस नॉलेज एंड सस्टेनेबल डेव्लपमेंट और सेंटर फॉर एनवायरनमेंट, सोसाइटी एंड गवर्नेंस शामिल हैं।

द्वितीय दीक्षांत समारोह में वर्ष, 2020 से अब तक के 704 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गयी। इनमें 28 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और एक विद्यार्थी को कुलाधिपति पदक से सम्मानित किया गया एवं 27 शोध विद्यार्थियों ने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। इस बार कुलाधिपति पदक से गणित विभाग की स्वर्ण पदक विजेता प्रतीशा मिश्रा को सम्मानित किया गया।

दीक्षांत समारोह के संपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन भारतीय परंपरा के अनुसार किया गया। सभी डिग्रीधारक एवं अकादमिक परिषद के सदस्य पारंपरिक परिधान में थे। विश्वविद्यालय की ओर से सभी डिग्रीधारकों एवं अकादमिक परिषद के सदस्यों के लिए पारंपरिक उत्तरीय की व्यवस्था की गयी थी। शैक्षणिक शोभा यात्रा भी भारतीय परंपरा के अनुसार शंखनाद के साथ निकाली गयी। रजिस्ट्रार प्रो एसएल हरिकुमार ने धन्यवाद दिया।