रांची। झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ ने अर्जित अवकाश के साथ छुट्टी रद्द किये जाने की मांग की है। बिग बुक के उर्दू में अनुवाद के लिए शिक्षकों का प्रतिनियोजन करने की बात कही है। कोरोना की गाइडलाइन के मद्देनजर बायोमेट्रिक उपस्थिति पर भी रोक लगाने की बात कही है। इस बाबत संघ की प्रदेश इकाई ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव राजेश कुमार शर्मा को ज्ञापन सौंपा है।
प्रदेश महासचिव अमीन अहमद ने बताया कि झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ की ओर से समय-समय पर उर्दू भाषी विद्यार्थियों की समस्याओं समेत विभिन्न बिंदुओं पर सचिव का ध्यानाकर्षित कराया जाता रहा है। हालांकि समस्याओं का निराकरण अब तक नहीं हो सका है। एक बार पुनः स्मारित कराते हुए आग्रह किया कि चिन्हित समस्याओं का निदान निकाला जाय।
महासचिव ने कोविड संक्रमण काल में बच्चों की पढ़ाई बाधित होने के मद्देनजर गर्मी छुट्टी में कटौती करने के फैसला स्वागत किया है। उन्होंने ने कहा कि शिक्षकों को भी अन्य विभागों की भांति अर्जित अवकाश देते हुए ग्रीष्मकालीन अवकाश को रद्द या कम किया जाना चाहिए।
हिन्दी और अंग्रेजी की भांति उर्दू विषय भी मुख्य विषय है। प्रारंभ से विद्यार्थी उर्दू को मुख्य विषय, हिंदी को राष्ट्रभाषा और अंग्रेजी को अनिवार्य विषय के तौर पर पढ़ते और परीक्षा देते आ रहे हैं। इस बार आठवीं बोर्ड की परीक्षा में उर्दू विषय को मुख्य विषय से हटा कर ऐच्छिक विषय के समूह में रखा गया है। इससे विद्यार्थियों के समक्ष विभिन्न प्रकार की समस्या उत्पन्न हो रही है। इसमें सुधार की आवश्यकता है।
संघ के सदस्यों ने कहा कि बिग बुक का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद की प्रक्रिया चल रही है। विभिन्न भाषाओं के जानकार शिक्षकों का प्रतिनियोजन किया जा चुका है, परंतु उर्दू भाषा में अनुवाद के लिए अब तक किसी शिक्षक को प्रतिनियोजित नहीं किया गया है। शिक्षकों का प्रतिनियोजन किया जाना विभाग एवं उर्दू भाषा के हित में होगा।
संघ ने कहा कि सचिव के आदेश पर कोविड के संक्रमण से बचने के लिए स्कूल स्तर पर बच्चो की रैंडमली जांच का आदेश स्वागत योग्य है। इस सिलसिले में संघ का मशवरा है कि विद्यालय में बायोमेट्रिक उपस्थिति पर भी रोक लगा दी जानी चाहिए, क्योंकि यह भी संक्रमण का एक मुख्य कारण बन सकता है। कोविड गाइडलाइन का मानक भी यही कहता है कि बायोमेट्रिक उपस्थिति से संक्रमण का खतरा है।
संघ ने कहा कि कोविड के कारण दो वर्षोँ से बाधित बच्चों की पढ़ाई की भरपाई के लिए शिक्षकों को किसी भी प्रकार के गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाया जाय। ये छात्र-छात्राओं के बाधित पठन पाठन के क्षतिपूर्ति के लिए एक ठोस कदम होगा, जिससे शिक्षकों को बाधित पढ़ाई की क्षतिपूर्ति करने में आसानी होगी।
संघ की ओर से स्मारपत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री, माध्यमिक शिक्षा निदेशक, प्राथमिक शिक्षा निदेशक, झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक एवं प्रशासी पदाधिकारी, झारखंड अधिविद् परिषद के अध्यक्ष एवं सचिव को भी दी गई है।