आनंद कुमार सोनी
लोहरदगा। डीसी डॉ बाघमारे प्रसाद कृष्ण ने तालाबों को भरे जाने की जांच की जिम्मेदारी एसडीओ अरविंद कुमार लाल को दी थी। एसडीओ के जांच करने पहुंचने से पहले ही ‘खेल’ हो गया। तालाब का नामोनिशान मिटा दिया गया।
बतातें चलें कि स्थानीय नागरिकों ने शहर के विभिन्न जलस्रोतों व तालाबों को भू माफियाओं से बचाने की गुहार डीसी से लगाई थी। इसपर उन्होंने मामले पर उचित कार्रवाई करने की बात कही थी। डीसी ने कहा था कि तालाब व जलस्रोत के संरक्षण की दिशा में जिला प्रशासन आवश्यक कदम उठाएगा। जांच की जिम्मेवारी एसडीओ को सौंपी। हालांकि जांच टीम के जांच शुरू करने से पहले ही जमीन माफिया ने रातोरात पूरे तालाब को जमींदोज कर दिया।
इस खबर को आपके अपने न्यूज वेब पोर्टल ‘दैनिक भारत 24’ सहित अन्य मीडिया ने प्रमुखता से छापा था। इसके बाद प्रशासन की ओर से जांच की तैयारी की गई। प्रशासन की सक्रियता को देखते हुए जमीन रैयत और भू माफिया भी रेस हो गये। जांच शुरू होने से पहले ही पूरे तालाब को भर दिया गया। इसके लिए ट्रैक्टर से बाहर से मिट्टी लाया गया। जेसीबी से उसे समतल किया गया।
मजेदार तो यह है कि डीसी के निर्देश के चार दिन बाद भी तालाब की जांच करने अधिकारी स्थल पर नहीं पहुंच सकें। अब स्थिति यह है कि वहां सिर्फ पीपल के पेड़ के पास ही तालाब के गड्ढे दिखाई देंगे। अन्य जगहों को मिट्टी भरकर समतल कर दिया गया है।
स्थानीय लोगों ने आवेदन में उपायुक्त को बताया था कि शहर के मुख्यपथ के कृषि मार्केट के सामने गुमला मुख्यपथ पर वर्षों पुराना तालाब है, जिसका अस्तित्व खत्म कर दिया जा रहा है। इस तालाब को वर्तमान के रैयत और भू माफिया मिलकर भर रहे है। इसे संरक्षित करने की जरूरत है।