नई दिल्ली। दुनिया के मुकाबले हम 2G और 3G में काफी पीछे थे। हम 4G में दुनिया का पीछा कर रहे थे। हमें 5G पर दुनिया के साथ चलना है और 6G पर दुनिया से आगे। अगर ऐसा नहीं होगा तो भारत को प्रतिभाओं का राष्ट्र कहलाने का कोई फायदा नहीं। हमने 6G में काम करना शुरू कर दिया है। उक्त बातें केंद्रीय केन्द्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना तथा प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कही। वह रविवार को TRAI अधिनियम, 1997 के 25वें वर्ष पर TCSAT संगोष्ठी के उद्घाटन में बोल रहे थे।
वैष्णव ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र की अनूठी विशेषता स्पेक्ट्रम की प्रकृति के कारण है, जिसका नाश नहीं किया जा सकता। पूरी तरह से फिर उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 25 वर्ष पहले ट्राई अधिनियम के तैयार होने के समय की तुलना में आज कहीं अधिक प्रासंगिक हो गया है। अब संपूर्ण नीतिगत चर्चा कोविड के बाद के परिदृश्य से परिभाषित होती है, जहां डिजिटल तकनीक अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार के निर्णय और पहलों के पीछे ‘अंत्योदय’ और समावेशी विकास पहला और सबसे महत्वपूर्ण दर्शन है। इसी सोच के साथ सरकार देश में डिजिटल विभाजन को कम करना चाहती है। आत्मनिर्भर भारत सरकार की रणनीति और दृष्टिकोण को दिशा-निर्देशित करने वाला दूसरा प्रमुख दर्शन है। भारतीय मस्तिष्क ने अन्य प्रणालियों के विकास की तुलना में बहुत कम लागत का उपयोग करते हुए रिकॉर्ड 14 महीनों में 4जी प्रौद्योगिकी स्टैक विकसित किया है।
मंत्री ने 5-जी कोर के विकास में भारतीय संस्थानों और वैज्ञानिकों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि साथ ही हमने 6जी तकनीक पर काम करना आरंभ कर दिया है, ताकि हम 6जी में बढ़त प्राप्त कर सकें। पूरी दुनिया को दिशा दे सकें। उन्होंने दूरसंचार क्षेत्र को सनराइज सेक्टर बनाने के लिए बार एसोसिएशन, न्यायपालिका, उद्योग, मीडिया आदि के सदस्यों से सुझाव मांगे।