महाशिवरात्रि पर पंचग्रही योग का दुर्लभ संयोग, जानें पूजा विधि, मंत्र और इस योग का महत्व

झारखंड
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रांची। इस बार महाशिवरात्रि पर विशेष पंचग्रही योग बन रहा है। मान्यता है कि अगर इन शुभ संयोग में शिव जी की पूजा की जाए, तो भगवान शिव भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से कई गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है।

ज्योतिष परमानंद शर्मा आचार्य के अनुसार महाशिवरात्रि पर धनिष्ठा नक्षत्र में परिध योग रहेगा। फिर धनिष्ठा के बाद शतभिषा नक्षत्र रहेगा। इसके अलावा परिध योग और शिव योग रहेगा। कहते हैं कि ये योग शत्रु पर विजय दिलाने में बहुत अहम होते हैं। साथ ही ऐसी मान्यता है कि इन नक्षत्रों में की गई पूजा का कई गुना ज्यादा फल मिलता है। महाशिवरात्रि पर मकर राशि में पंचग्रही योग बन रहा है।

इस दिन मंगल, शनि, बुध, शुक्र और चंद्रमा रहेंगे। लग्न में कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति रहेगी। राहु वृषभ राशि, जबकि केतु दसवें भाव में वृश्चिक राशि में रहेगा। यह ग्रहों की दुर्लभ स्थिति है और विशेष लाभकारी हैं।

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली महाशिवारात्रि का पूजा मुहूर्त सुबह 11:47 से दोपहर 12:34 तक अभिजीत मुहूर्त और दोपहर 02:07 से 02:53 तक विजय मुहूर्त होगा। शाम 05:48 से 06:12 तक गोधूलि मुहूर्त होगा। पूजा या शुभ कार्य करने के लिए अभिजीत और विजय मुहूर्त को श्रेष्ठ माना गया है। महाशिवरात्रि के दिन शिव जी का पंचामृत से अभिषेक करें। चंदन का तिलक लगाएं। बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र और वस्त्र आदि अर्पित करें।

शिव जी के सामने दीप जलाएं और खीर का भोग लगाएं। साथ ही शिव मोला मंत्र ॐ नम: शिवाय॥ महा मृत्युंजय मंत्र ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ का जाप करें। रूद्र गायत्री मंत्र ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्॥ मंत्र का भी जाप फलदायी होता है।