
रांची। पोस्टल/आरएमएस पेंशनर्स एसोसिएशन के बैनर तले रांची जीपीओ में 17 दिसंबर को पेंशनर्स दिवस मनाया गया। स्टेट सचिव एमजेड खान ने इस दिन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 17 दिसंबर, 1982 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि पेंशन ना कोई गिफ्ट है और ना इनाम है। ये एक संवैधानिक अधिकार है, जो वर्षों की सेवा के पश्चात अर्जित किया गया है। ये एक सामाजिक सुरक्षा कवच है। ये ना नियोक्ता की मर्जी पर निर्भर करता है और ना सरकारी निर्देशों पर आधारित है।
बैठक में समय पर पेंशन पेमेंट ऑर्डर जारी नहीं करने, प्रोविजिनल पेंशन भुगतान नहीं करने, प्री पेंशन निर्धारण एवं सीजीएचएस की कार्यप्रणाली में सुधार करने आदि पर चर्चा की गई। चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया कि इसमें सुधार नहीं हुआ तो पेंशनर्स एसोसिएशन संघर्ष का रास्ता अपनायेगा। हाल की दिनों में एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल चीफ पीएमजी/पीएमजी और डाक निदेशक से मिला था। उनसे समस्याओं पर विस्तृत चर्चा हुई थी। इसके बाद भी डाक लेखा निदेशक कार्यालय झारखंड से समय पर पेंशन पेमेंट आर्डर जारी नहीं किया जा रहा है।
प्रतिनिधिमंडल ने सितंबर में अतिरिक्त निदेशक सीजीएचएस, रांची को ज्ञापन सौंपकर मांग की थी कि यहां तीनों वेलनेस सेंटर को लाभार्थियों के लिए कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन करते हुए खोला जाय। यह कोविड के समय से अब तक बंद है। इसके कारण लाभार्थियों को असुविधा होती है। वेलनेस सेंटर में समय सारिणी का भी पालन नहीं किया जाता है। लाभार्थियों को 24 घंटे के अंदर दवाएं उपलब्ध कराने की बात कही थी। निर्णय लिया गया कि अतिरिक्त निदेशक से मिलकर उन्हें स्थिति से अवगत कराया जाय।
इस अवसर पर केडी राय व्यथित, त्रिवेणी ठाकुर, जयनारायण प्रसाद आदि ने भी अपने विचार रखें। मौके पर हसीना ग्रेस तिग्गा, जेठू बड़ाइक, एनके मंडल, सिद्धनाथ मिश्र, अरबी बैठा, रमेश सिंह, गणेश डे, खुर्शीद आलम, त्रिलोकीनाथ साहू, राजेन्द्र महतो, विश्वकर्मा, सिद्दीक अंसारी, एन खाखा, हरेंद्र प्रसाद, गौतम विश्वास, सुबोध कुमार आदि मौजूद थे।