संकट में बीएयू, आईसीएआर ने रोका शोध परियोजना का फंड, पैसे मांगे वापस

झारखंड मुख्य समाचार
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  • दशकों से चल रही 31 शोध परियोजनाएं, सरकार नहीं दे रही अपना पूरा हिस्‍सा

रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में संकट में है। नई दिल्‍ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) ने शोध परियोजनाओं का फंड रोक दि‍या है। परिषद ने अवशेष राशि वापस मांगी है। वर्षों से राज्य सरकार इन परियोजनाओं के लिए अपना पूरा हिस्‍सा नहीं दे रही है। निदेशक अनुसंधान ने यह मामला अनुसंधान परिषद् की बैठक में कृषि सचिव के समक्ष भी उठाया था।

जानकारी हो कि बीएयू में आईसीएआर से वित्त संपोषित 31 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाएं चलाई जा रही है। इसे क्षेत्र विशेष की कृषि समस्याओं पर आधारित शोध कार्यक्रमों के माध्यम से क्षेत्र विशेष के उपयुक्त तकनीकी का विकास एवं अनुशंसा करनी होती है।

गत वर्षो में राज्य सरकार से अनुदान राशि प्राप्ति की प्रत्याशा में विश्वविद्यालय द्वारा अन्य स्रोतों की राशि से खर्च कर अनुसंधान कार्यक्रमों का सुचारू संचालन तो किया गया, परंतु विवि द्वारा इस मद में राज्य सरकार से राशि की मांग नहीं की गई। वर्षों से राज्य सरकार द्वारा इन परियोजनाओं की 25 प्रतिशत राज्यांश की पूरी राशि नहीं दी गई, जिससे आईसीएआर संपोषित परियोजनाओं में स्वीकृत राशि में परियोजनाओं की अवशेष राशि का आकार लगातार बढ़ता चला गया।

गत दिनों बीएयू की 41वीं अनुसंधान परिषद् की बैठक में निदेशक अनुसंधान डॉ अब्दुल वदूद ने कृषि सचिव के समक्ष आईसीएआर-एआईसीआरपी शोध परियोजनाओं पर संकट का मुद्दा रखा। इस संकट के समाधान के लिए विश्वविद्यालय को एकमुश्त करीब 10 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज मुहैया कराने का अनुरोध किया, ताकि विवि में परियोजनाओं का संचालन बाधित नहीं हो। राज्य में कृषि विकास का हित प्रभावित नहीं हों। आईसीएआर संपोषित परियोजनाओं के शोध कार्यक्रमों को सुचारू रूप से चलाया जा सकें।

बीएयू के निदेशक अनुसंधान डॉ अब्दुल वदूद ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के अंत तक आईसीएआर परियोजनाओं में अवशेष राशि 9 से 10 करोड़ तक हो गई है। हाल में आईसीएआर, नई दिल्ली से विश्वविद्यालय को पत्र मिली है, जिसमें सभी एआईसीआरपी परियोजनाओं की अवशेष राशि को वापस करने को कहा गया है। राज्य का एकमात्र कृषि विश्वविद्यालय राज्य सरकार के अनुदान से चलता है। अनुमानित करीब 10 करोड़ की अवशेष राशि की वापसी में विश्वविद्यालय पूरी तरह असमर्थ है।

इधर आईसीएआर शोध परियोजनाओं में स्वीकृत राशि निर्गत नहीं कर रहा है। अवशेष राशि वापसी के बाद ही सभी एआईसीआरपी परियोजनाओं में वित्तीय सहायता देने की बात कही है। इससे राज्य के कृषि विकास को गतिशील बनाये रखने में कारगर शोध परियोजनाओं के संचालन में विवि के समक्ष संकट के बादल मड़राने लगा है। राज्य एवं किसान हित के शोध कार्यक्रमों को प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है।

बताते चलें कि विगत वर्ष इन परियोजनाओं के शोध के बदौलत विश्वविद्यालय को 9 फसलों के 12 किस्मों विकसित करने में सफलता मिली। दशकों बाद विश्वविद्यालय के नई फसल किस्मों को स्टेट वेरायटल रिलीज कमेटी और सेंट्रल वेरायटल रिलीज कमेटी से अनुमोदन मिला है। राज्य के किसान हित में इन नये किस्मों का स्टेट सीड चैन को गतिशील बनाये रखने में एआईसीआरपी शोध परियोजनाओं बड़ी भूमिका होने वाली है। परियोजनाओं के अधीन क्षेत्र के उपयुक्त 4 अन्य नये फसल किस्मों को भी रिलीज के लिए चिन्हित किया गया है, जिसे जल्द ही स्टेट वेरायटल रिलीज कमेटी की अनुशंसा के लिए भेजी जाएगी।