- अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक एंड रिहेबिलिटेशन में सिलिगुड़ी के युवक को मिली नई जिंदगी
पटना। बिहार के पटना के कंकड़बाग स्थित अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक एंड रिहेबिलिटेशन ने सिलिगुड़ी के 37 वर्ष युवक को नई जिंदगी दी है। युवक दुर्लभ एंकायलोजिंग स्पोंडलाइटिस रोग से पीड़ित है। इसकी वजह से युवक का जोड़ और कूल्हा जाम हो गया था। वह बिना सहारे के नहीं चल पा रहा था। अनूप इंस्टीट्यूट के डॉ आशीष सिंह ने एक साथ दोनों कूल्हा का रोबोट की सहायता से प्रत्यारोपण किया। अब वह युवक बिना सहारे का चल रहा है। यहां तक बाइक भी चला रहा है।
यह जेनेटिक रोग है
जोड़ प्रत्यारोपण सर्जन डॉ आशीष ने कहा कि एंकायलोजिंग स्पोंडलाइटिस एक प्रकार का गठिया है। यह जेनेटिक रोग है, जो 15 से 45 वर्ष के युवाओं में होता है। पुरुषों में यह बीमारी में महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा होती है। इस बीमारी की वजह से युक्त युवक आगे की ओर झुक गया था। सारा जोड़ और कूल्हा जाम हो गया था। वह ना लेट पाता था, ना खड़ा हो पाता था।
बीमारी बढ़ती गई
युवक ने कोलकता में इलाज कराया। बीमारी घटने के बजाय बढ़ता गया। स्थिति इतनी गंभीर थी कि उसके बाथरूम पहुंचने से पहले पेशाब कपड़े में हो जाता था। तब वह टेलीमेडिसीन के सहारे मेरे संपर्क में आया। उसका इलाज शुरू किया। पिछले दिनों उसके दोनों कूल्हे का ऑपरेशन एक साथ रोबोट की सहायता किया। सात दिनों में ही उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। अब वो युवक बाइक और कार चला पा रहा है। बिना सहारे के चलता है। उसके गठिया का इलाज चल रहा है।
ऑपरेशन करना चुनौती थी
डॉ आशीष का कहना है कि उक्त युवक का ऑपरेशन करना बेहद चुनौतीपूर्ण था। वह 15 सालों से इस बीमारी से पीड़ित था। 14 वर्षों से वो दर्द निवारक गोलियां खा रहा था। ऐसे में उसके कमर से नीचे सून्न नहीं हो पा रहा था। दो बार में कमर के नीचे सून्न हो पाया। ऐसे में कम समय में ऑपरेशन करना था। ऑपरेशन के पांच घटना बाद ही युवक चलने लगा।
कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं
अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक एंड रिहेबिलिटेश के डॉ आशीष ने बताया कि बिहार और पूर्वोत्तर भारत में सिर्फ मेरे यहां रोबोट की सहायता से जोड़ प्रत्यारोपण होता है। इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता है। रोबोटिक सर्जरी 100 प्रतिशत सफल होता है। कम चीरा लगता है। खून भी बहुत कम बहता है।