रांची I बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अधीन कार्यरत रांची कृषि महाविद्यालय के अंतिम वर्ष के 45 स्नातक छात्रों का ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम प्रारंभ हो चुका है। इसके अधीन छात्रों को गांवों में जाने से पूर्व कृषि अभियंत्रण तकनीकों के विभिन्न आयामों की व्यावहारिक जानकारी से अवगत कराया गया।
विवि के कृषि अभियंत्रण विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो डीके रूसिया ने छात्रों को सफल एवं टिकाऊ खेती में भूमि की तैयारी से कटाई उपरांत फसल प्रबंधन में उपयुक्त आधुनिक कृषि यंत्रो की उपयोगिता, प्रयोग एवं रख्ररखाव के बारे में बताया। छात्रों को ग्रामीण स्तर पर संचालित कृषि उपकरण बैंक एवं कस्टम हायरिंग केंद्र के सबंध में जानकारी दी। कहा कि राज्य सरकार के द्वारा किसानों/ग्रामीण युवकों के सहयोग से कृषि उपकरण बैंक स्थापित की जा रही है। आईसीएआर द्वारा केवीके माध्यम से कस्टम हायरिंग केंद्र द्वारा कृषि यंत्र से रोजगार को बढ़ावा दिया जा रहा है। कृषि स्नातक छात्र लघु कृषि यंत्रो का निर्माण एवं ऐसे केन्द्रों की स्थापना कर ग्रामीण स्तर पर उद्यम चला सकते है।
डॉ प्रमोद राय ने छात्रों को कृषि अभियंत्रण से जुड़े अभिनव तकनीकों की व्यावहारिक जानकारी दी। छात्रों को संरक्षित कृषि के विभिन्न अवयवों और बेमौसमी लाभकारी कृषि के सबंध में बताया।
डॉ उत्तम कुमार ने ड्रिप सिंचाई तकनीक से लाभकारी कृषि के तकनीकों के बारे में बताया। छात्रों को फसल कटाई उपरांत कृषि यंत्रो के माध्यम से प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन के बारे में बताया।
प्रो डीके रूसिया ने कहा कि कृषि कार्य में जुताई, बुआई, सिंचाई, दवा का छिड़काव, कटाई, मड़ाई, भंडारण एवं कटाई उपरांत प्रबंधन में कृषि यंत्रों की उपयोगिता है। सघन खेती के साथ कृषि यंत्रों का महत्व काफी बढ़ गया है। सही कृषि यंत्र के उपयोग से किसान कृषि उत्पादकता में करीब 12-34 प्रतिशत बढ़ोतरी, बीज सह खाद ड्रिल से 20 प्रतिशत बीज की और 15-12 प्रतिशत खाद की बचत कर सकते है। इसके उपयोग से फसल सघनता 5-12 प्रतिशत तक बढाया जा सकता है। किसानों की कुल आमदनी 30-40 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकती है। आधुनिक कृषि में कृषि यंत्रो द्वारा ग्रामीण स्तर पर रोजगार के अवसर को भी बढ़ावा मिलने लगी है।