आनंद कुमार सोनी
लोहरदगा। झारखंड के लोहरदगा जिले के भंडरा प्रखंड की आकाशी गांव की रहने वाली है 37 साल की सूरजमनी उरांव। वह उजाला आजीविका स्वयं सहायता समूह से अगस्त, 2016 से जुड़ी है। उसकी कहानी हर महिला की आर्थिक दशा बदल सकती है।
महज 10वीं तक पढ़ी है
आदिवासी बहुल आकाशी गांव की सूरजमनी उरांव कृषि पर निर्भर है। सिंचाई के लिए पानी की किल्लत से कृषि कार्य में उसके परिवार को परेशानी हो रही थी। कृषि कार्य सही से नहीं होने से घर चलाना मुश्किल हो गया था। मात्र 10वीं तक पढ़ी सूरजमनी ने इस मुश्किल समय में जेएसएलपीएस से जुड़ने की ठानी। जेएसएलपीएस द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त कर फूलों की खेती योजना से जुड़ीं। उनके इस निर्णय लेने के बाद उनके पति बंदे उरांव ने भी उनका पूरा सहयोग दिया। उद्यान विभाग की मदद से गेंदा फूल का बीचड़ा प्राप्त करके 60 डिसमिल जमीन पर इसकी खेती की।
समाज में बढ़ा सम्मान
सूरजमनी के इस निर्णय ने उसकी आर्थिक दशा बदल दी। एक समय बेरोजगार रहीं सूरजमनी आज प्रति कठ्ठा जमीन फूलों की खेती से 4-5 हजार रुपये की आय कर रही है। इससे उनका परिवार खुशहाली से चल रहा है। आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने के बाद सूरजमनी का सम्मान समाज में बढ़ा है। जब सूरजमनी शादी कर आकाशी पहुंची थी, तब उसके ससुराल की आर्थिक हालात खराब थी। पूरे परिवार के समक्ष आर्थिक संकट था। वह अपनी इस आर्थिक हालात पर ना ही अपने माता पिता, ना ही अपने पति का विरोध किया। उसने जीवन जीने के लिए एक नये रास्ते का चयन किया। फूलों की खेती शुरू की। अब उसके यहां से कई गांवों के व्यापारी एवं ग्रामीण फूल की खरीदारी करने आते हैं। इनके खेतों के फूल लोहरदगा, भंडरा, कैरो, नगजुआ समेत कई जगह के खुदरा बिक्रेता पहुंचते हैं।
महिलाओं से अपील
सूरजमनी कहती हैं कि फूल की खेती पर प्रति कट्ठा दो हजार का खर्च होता है। इसके बदले 4-5 हजार रुपये का मुनाफा होता है। उसने क्षेत्र की महिलाओं से अपील की कि भविष्य में जीवन का नाश करने वाले शराब का कारोबार कभी नहीं करना चाहिए। मेहनत व लगन से काम करने से सफलता अवश्य मिलती है। सरकार द्वारा कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही है। स्वरोजगार से जुड़ने का अवसर मिलता है। मैंने उद्यान विभाग की इस योजना का लाभ उठाया। अब आर्थिक रूप से स्वावलंबी हूं।