नई दिल्ली। हर साल 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद ओजोन परत के बारे में लोगों में जागरूक करना है। वायुमंडल में ओजोन परत सूर्य से निकलने वाली हानिकारक अल्ट्रावाइलट किरणों से पृथ्वी को बचाती हैं।
सूर्य से निकलने वाली ये किरणें त्वचा रोग समेत कई बीमारियों का कारण बन सकती हैं। यानी दूसरे शब्दों में कहें तो ओजोन की परत के बिना पृथ्वी पर जीवन मुमकिन नहीं होता। हर साल ओजोन परत के संरक्षण के लिए एक अलग थीम तैयार करके लोगों को इसके महत्व के बारे में जानकारी दी जाती है। वर्ल्ड ओजोन डे 2021 की थीम है, “मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल – हमें, हमारे भोजन और टीकों को ठंडा रखना” है। इस वर्ष के विश्व ओजोन दिवस पर प्रकाश डाला गया है, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल बहुत कुछ करता है – जैसे कि जलवायु परिवर्तन को धीमा करना और ठंडे क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने में मदद करना, जो खाद्य सुरक्षा में योगदान देता है। इस साल की थीम को 197 देशों के द्वारा मंजूरी दी गई है। ओजोन (O3) हमारे वायुमंडल का सबसे बाहरी आवरण है। ये परत ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनी बिना गंध वाली गैस है। यह धरती पर सूर्य की हानिकारण अल्ट्रावाइलट किरणें पहुंचने नहीं देती। लेकिन प्रदूषण ने ओजोन में छेद कर दिए हैं जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ा है। पृथ्वी से निकलने वाली रासायनिक गैसें ओजोन परत को नुकसान पहुंचाती हैं। कई वैज्ञानिकों का कहना है कि रेफ्रिजरेटर और एसी ओजोन परत को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
1970 के दशक के अंत में वैज्ञानिकों को ओजोन परत में छेदों के बारे में पता चला। इसके बाद 80 के दशक में विश्व के कई देशों की सरकार ने इस समस्या पर चिंतन करना शुरू किया। 1985 में दुनिया की सरकारों ने ओजोन परत की सुरक्षा के लिए वियना कन्वेशन को अपनाया। इसके बाद 19 दिसंबर 1994 को यूएन की जनरल असेंबली ने 16 सितंबर को ओजोन लेयर के बचाव के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने का फैसला किया। पहला ओजोन डे 16 सितंबर 1995 को मनाया गया था।