घोर नक्सल प्रभावित गांवों में अब होगी औषधीय और सुगंधि‍त पौधों की खेती

झारखंड
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खूंटी। झारखंड के खूंटी जिले के अड़की प्रखंड के बिरबांकी में सेवा वेलफेयर सोसाईटी ने 19 अगस्‍त को एक सेमिनार का आयोजन किया। इसका मुख्य उद्देश्य घोर नक्सल प्रभावित  इलाके के गांवों के लोगों की आय वृद्धि के लिए उन्‍हें औषधीय और सुगंधि‍त पौधों की खेती के प्रति जागरूक और प्रेरित करना है। बीहड़ों में बसी सात पंचायतों के गांव-टोलों के सैकड़ों हॉकी टीमों में से प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को जिला, राज्य और राष्ट्रीय तक पहुंचाकर उनका भविष्य संवारना था। यह कोशिश की जा रही है कि इस इलाके के युवाओं को हॉकी और तीरंदाजी में प्रगति के अवसर प्रदान किये जाऐं, जिससे युवा भटकाव की राह नहीं जाकर, खेल के माध्यम से इलाके और देश का नाम रोशन कर सकें।

आगे बढ़ने की राह ग्रामीणों को दिखाई

सेमिनार में खूंटी हॉकी की वरीय उपाध्यक्ष अर्पणा हंस, डबल ओलम्पियन निक्की प्रधान के प्रारंभिक कोच सह खूंटी हॉकी के सचिव दशरथ महतो, खूंटी आर्चरी एसोसिएशन के सचिव बसंत कुमार, विधायक प्रतिनिधि मनोज मंडल, समाजसेवी नईमुद्दीन खां, सेवा वेलफेयर सोसाईटी के देवा हस्सा ने इस दिशा में आगे बढ़ने की राह ग्रामीणों को दिखाई।

200 से ज्यादा टीमें हैं दक्षिणी अड़की में

बता दें कि इन सात पंचायतों में लगभग 200 से ज्यादा हॉकी की टीमें हैं। जब भी यहां हॉकी खस्सी टूर्नामेंट का आयोजन होता है, तब लगभग 100 टीमें टूर्नामेंट में हिस्सा लेतीं हैं। इन टीमों में कई विलक्षण प्रतिभा के खिलाड़ी भी हैं। लेकिन टूर्नामेंट के अंत में विजेता टीमें खस्सी और सुक्कर पुरस्कार स्वरूप लेकर चले जाते हैं। इनके खेल का अंतिम लक्ष्य यही रह गया है। लेकिन अब इन खिलाड़ियों को नेशनल और इंटरनेशनल लेबल तक कैसे पहुंचाया जाय, इसकी कवायद सेवा वेलफेयर सोसाईटी ने संयुक्त प्रयास से प्रारंभ की है।

तीन वर्ग की टीमें बनाऐं

कोच दशरथ महतो ने सेमिनार में बताया कि जब भी हॉकी की टीमें बनाऐं, तो उसे तीन समुहों में बांटें। पहला सब जूनियर जिसमें 14 वर्ष के खिलाड़ी होंगे। दूसरा जूनियर जिसमें 16 और 17 वर्ष के खिलाड़ी होंगे। तीसरी सीनियर टीम में 18 और 19 वर्ष के खिलाड़ी होंगे। उन्होंने बिरबांकी इलाके में प्लेयर सेलेक्शन के लिए टूर्नामेंट के आयोजन पर बल दिया। इसके साथ ही इन सात पंचायतों में कम से कम चार डे बोडिंग सेंटर खोलने पर बल दिया। उन्होंने हॉकी के माध्यम से भविष्य सुधारने के लिए कम से कम मैट्रिक तक की पढ़ाई को जरूरी बताया।

तीरंदाजी के लिए डे बोडिंग खुले

आर्चरी एसोसिएशन के सचिव बसंत कुमार ने कहा कि इन सात पंचायतों से अच्छे तीरंदाजों को ढुंढ़ कर निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि बिरबांकी से एक तीरंदाज निकला था, जो गोल्ड मेडलिस्ट है। आदिवासी बहुल इलाके में तीरंदाजी में काफी अवसर है। ऐसा बसंत कुमार ने कहा। उन्होंने सलाह दी कि ग्रामीण डीसी से मिलकर तीरंदाजी के लिए एक डे बोडिंग खोलने की मांग करें।

प्रति एकड़ प्रति वर्ष एक लाख की कमाई

सेवा वेलफेयर सोसाईटी के देवा हस्सा और समाजसेवी नईमुद्दीन खां ने ग्रामीणों को लेमनग्रास की खेती से जुड़ी जानकारियां दी। उन्होंने कहा कि असिंचित और अनुपयोगी भूमिक पर कम मेहनत और कम लागत से लेमनग्रास की खेती की जा सकती है। जिससे प्रतिवर्ष एक एकड़ में लेमनग्रास की खेती करने पर एक लाख रूपये तक की कमाई हो सकती है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन जेएसएलपीएस और एनजीओ के माध्यम से 400 एकड़ में लेमनग्रास की खेती के लिए नि:शुल्क पौधे उपलब्ध कराने जा रही है। इसका फायदा ग्रामीणों को उठाना चाहिए और व्यापक पैमाने पर लेमनग्रास की खेती करनी चाहिए।

सेमिनार में जेएसएलपीएस की बीपीएम एस संगा के द्वारा भी लेमनग्रास की खेती के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित किया गया। बिरबांकी गांव के लुकिन मुंडा ने जल्द ही एक और सेमिनार बिरबांकी में और चैपी गांव के दिनेश मुंडा ने तिरला में सेमिनार आयोजित करने का अनुरोध सेवा वेलफेयर सोसाईटी से किया है। सेमिनार में प्रमुख सीता नाग, मुखिया गीता समद, विनय मुंडा आदि मुख्य रूप से शामिल हुए।