नई स्थानीय नीति से झारखंड के आदिवासी, मूलवासियों को फायदा नहीं : रघुवर दास

झारखंड
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  • नई नीति असंवैधानिक, बाहरी को नियुक्त करने का प्रयास

रांची। झूठे वादे और नारों के आधार पर झामुमो-कांग्रेस ने सरकार बनाई। युवाओं को बड़े-बड़े सब्जबाग दिखाए कि यह युवाओं की सरकार है। एक वर्ष में 5 लाख नौकरियां देंगे। खतियान के आधार पर स्थानीय नीति परिभाषित करेंगे। हालांकि दोनों में से सरकार ने कुछ नहीं किया। उक्तय बातें भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 8 अगस्ता को प्रदेश कार्यालय में प्रेस से कही।

दास ने कहा कि बेरोजगार नौजवान-नवयुवतियों समेत संपूर्ण झारखंडवासियों को धोखा देने का काम किया है। ऐसी नीति बनाई कि कहीं से भी आकर झारखंड से 10वीं या 12वीं पास कर नौकरी पा लो। ऐसे असंवैधानिक नीति बनाई, जिसमें हर भाषा होगी, लेकिन हिंदी नहीं रहेगी। ताकि नीति कानूनी उलझन में फंसी रहे। नियुक्तियां नहीं हो सके। नियुक्ति हो भी तो नियुक्ति के व्यापार का रास्ता खुल सके।

पूर्व सीएम ने कहा कि जिस प्रकार झारखंड में ट्रांसफर-पोस्टिंग एक उद्योग बन गया है, अब सरकार नियुक्तियों को भी उद्योग बनाना चाह रही है। राज्य सरकार की नई नियुक्ति नियमावली यहां के जातिगत और भाषागत संरचना को नुकसान पहुंचाने की एक बड़ी साजिश रही है। बांग्ला और उड़िया भाषा को शामिल करने का हमलोग स्वागत करते हैं, लेकिन राष्ट्र भाषा हिंदी की उपेक्षा बर्दाश्त करने योग्य नहीं है।

दास ने कहा कि नई नियुक्ति नियमावली के माध्यम से झारखंड में बाहरी लोगों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया जा रहा है। नये प्रावधान के बाद देश के किसी भी हिस्से में रहनेवाला व्यक्ति सिर्फ झारखंड से 10वी और 12वीं की परीक्षा पास कर यहां नौकरी प्राप्त कर सकता है।

झारखंड के अधिकांश छात्र जनजातीय भाषा की बजाय हिन्दीव भाषा में पढ़ते हैं। वर्तमान सरकार ने जानबूझकर हिन्दी को ही परीक्षा प्रक्रिया से बाहर कर दिया, ताकि यहां के छात्रों को नुकसान हो।

पूर्व कि भाजपा सरकार ने 2016 में पहली से 10वीं तक की परीक्षा पास करनेवालो को नौकरी का प्रावधान किया था। उसी प्रावधान का श्रेय यह सरकार ले रही है, जबकि उसने सिर्फ 10वीं कि परीक्षा पास करने का प्रावधान कर यहां के छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है।

पूर्व कि भाजपा सरकार ने जेपीएससी और एसएससी की परीक्षा में स्थानीय भाषाओं को शामिल किया था। संथाली, मुंडा, हो, खड़िया, कुड़ुख, कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंचपरगनिया व अन्य भाषाओं को शामिल किया गया था। वर्तमान सरकार ने विगत डेढ़ साल में नियुक्ति तो नहीं ही की, आगे कि नियुक्तियों को भी उलझाने की मंशा से नियुक्ति नियामवली में संशोधन करने का काम किया है।

वर्तमान सरकार ने छठीं जेपीएससी के माध्यम से गलत नियुक्ति करने का काम किया है। साथ ही हाईकोई के आदेश का पालन भी नहीं कर रही है, जिसमें दोषी पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी थी।

दास ने कहा कि वर्तमान सरकार राज्य की सामाजिक समरसता को बर्बाद करने पर तुली हुई है। नई नियुक्ति नियामवली से राज्य के आदिवासियों व मूलवासियों को कोई फायदा नहीं होगा बल्कि नयी नियुक्तियां लटक जायेंगी।

कहा कि झारखंड में इंटरमीडिएट तक क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई नहीं होती है। किसी भी विषय में स्नातक की पढ़ाई कर कोई व्यक्ति नयी नीति का लाभ उठा सकता है जिसका सीधा नुकसान आदिवासियों, मूलवासियों और झारखंडवासियों को होगा।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का एक साल में पांच लाख नौकरी देने का वादा हवा हवाई साबित हो गया है। उसी के बचने के लिए अब पूरे मामले को उलझाने का प्रयास चल रहा है। नयी नियुक्ति नियामवली पूरी तरह से असंवैधानिक है जिसका असर भविष्य में होनेवाली नियुक्तियां पर पड़ेगा।

मौके पर मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक एवं सह मीडिया प्रभारी अशोक बड़ाईक भी उपस्थित थे।