फाइलेरिया के खिलाफ चार जिलों में शुरू हुआ कार्यक्रम, डॉक्‍टर की ये सलाह

झारखंड सेहत
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रांची। झारखंड सरकार फाइलेरिया रोग के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है। इस क्रम में फाइलेरिया से प्रभावित सरायकेला, जामताड़ा, लातेहार एवं पलामू जिले में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम शुरू हो गया है। इस दौरान दवा का वितरण नहीं किया जाएगा। लोगों को घर पर जाकर दवा खिलाई जाएगी।

राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम) डॉ एसएन झा ने बताया इस कार्यक्रम में पलामू जिले के 19,47,642 लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डीईसी एवं अल्बेंडाजोल की निर्धारित खुराक, प्रशिक्षित दवा प्रशासकों द्वारा घर-घर जाकर अपने सामने खिलाई जायेगी। जामताड़ा जिले के 7,97,317, सरायकेला-खरसावां के 11,07,410 और लातेहार के 7,43,230 लाभार्थियों को डीईसी एवं अल्बेंडाजोल की निर्धारित खुराक दी जायेगी।

डॉ झा ने बताया कि दवाओं का वितरण बिलकुल भी नहीं किया जायेगा। इन दवाओं का सेवन खाली पेट नहीं करना है। दो वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिला और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को डीईसी दवा नहीं खिलाई जायेगी। एक से दो वर्ष के बच्चों को अल्बेंडाजोल की आधी गोली खिलाई जा सकती है। फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। फाइलेरिया या हाथीपांव रोग, सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है।

डॉ झा ने बताया कि सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में माइक्रो फाइलेरिया मौजूद है। दवा खाने के बाद से ऐसे लक्षण उत्पन्न होते हैं। सामान्यतः ये लक्षण स्वतः समाप्त हो जाते है।