मानव तस्करी की शिकार झारखंड की दो बेटियां दिल्ली से करायी गयीं मुक्त

अपराध झारखंड
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रांची। झारखंड के बेटे-बेटियों की तस्करी थमने का नाम नहीं ले रही है। इनकी मजबूरी का मानव तस्कर लाभ उठाने से बाज नहीं आते। पकड़े भी जाते हैं। दंड भी भोगते हैं फिर इनकी हरकतें जारी है।

मानव तस्करी की शिकार झारखंड की दो युवतियों को कड़कड़डूमा से मुक्त कराया गया है। रेस्क्यू कराई गयीं युवतियां झारखंड के लातेहार जिला के बालूमाथ प्रखंड की रहने वाली हैं। युवतियों ने बताया कि उनके गांव की जयमुनि उरांव नाम की महिला काम दिलाने के बहाने रांची लेकर आयी और उन्हें विजय उरांव नाम के व्यक्ति को सौंप दिया। विजय दोनों युवतियों को बहला-फुसलाकर 17 दिसंबर 2020 को नई दिल्ली लेकर आया और कड़कड़डूमा में रहने वाले एक घर दाई के रूप में काम लगाया। इसके एवज में घर मालिक से उसने 50000 रुपये लिये। साथ ही उसने कहा कि हर महीने 7000 रुपये उनके खाते में भेज दिए जाए। घर के मालिक ने उन लड़कियों से काम कराने के एवज में विजय के खाते में 30000 रुपये ट्रांसफर भी किए।

जब लड़कियां परेशान हुईं, तो उन्होंने एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र नई दिल्ली द्वारा संचालित हेल्पलाइन नंबर 10582 पर इसकी सूचना दी। एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र के नोडल पदाधिकारी ने तत्काल संज्ञान लेते हुए तीन सदस्यीय टीम गठित की। टीम ने दोनों युवतियों को मुक्त कराया और उन्हें अभी संरक्षण में रखा है। उनके घर मालिकों ने बताया कि अभी तक ट्रैफिकर के द्वारा उनसे 80000 की राशि वसूल की गई है। एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र द्वारा दोनों युवतियों को उनके सात माह के मानदेय का भी भुगतान तत्काल कराया गया। साथ ही ट्रैफिकर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्थानीय थाने से समन्वय स्थापित कर एफआईआर की जा रही है, ताकि मानव तस्कर विजय को पकड़ा जा सके।

लड़कियों को मुक्त कराने में बाल कल्याण संघ के निदेशक संजय कुमार मिश्र, एक पुनर्वास संसाधन केंद्र के नोडल पदाधिकारी नचिकेता मिश्रा, सुनील कुमार गुप्ता, निर्मला खलखो, सत्यजीत तिवारी का अहम योगदान रहा है।